For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी आई है पतझड़ ये बहार कभी तो आएगी(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 1222 1222

अभी आई है पतझड़ ये बहार कभी तो आएगी
खिलेंगे फूल खुशियों के सुकूँ देकर ही जाएगी।

जुदाई सह नहीं पाया हुआ था दर्द सीने में
उसे ही याद है रक्खा वही जीना सिखाएगी।

जो जोड़ी चोर ने दौलत नहीं कुछ काम है आई
छुपाने की रही कौशिश दिखाई तो फ़ँसाएगी।

बड़े अरमान से चाहा, जिसे पूजा,जिसे माना
नहीं यह जान पाए थे वही हमको सताएगी।

लगाया जोर था जिसको बड़ी ऊपर ले जाने में
नहीं अच्छी बनी सीढ़ी तुझे नीचे गिराएगी।

रखेगा गर करम मालिक तेरे ऊपर सही राणा
कलम तेरी तुझे हरदम सही लिखना सिखाएगी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:31pm
आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमन!प्रोत्साहन और स्नेह यूँ ही बना रहे,साथ ही मार्गदर्शन भी सदैव वांछित है।सादर हारदिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:29pm
आआदरणीय गिरिराज सर सादर नमन!12112=1222 नहीं लिया जा सकता!आपका आशय समझ पा रहा हूँ।मार्गदर्शन के लिए कोटि कोटि आभार!मैं इस भूल को सुधारने का समुचित प्रयास करूंगा सादर!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 22, 2016 at 11:54pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, ग़ज़ल पर बढ़िया प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई. आदरणीय गिरिराज सर का मार्गदर्शन मिल ही गया है. अभ्यास के क्रम में कहन भी प्रभावकारी होती जाएगी. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 12:33pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , गज़ल अच्छी कही है , हार्दिक बधाइयाँ ।  आदरनीय मतले का उला , तीसरे रुकन से बेबहर है

अभी आई/ है पतझड़ ये/ बहार कभी/   तो आएगी    --- देख लीजियेगा ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 21, 2016 at 2:02pm
अनुमोदन के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 5:48am
बहुत खुबसूरत गजल, दिली दाद कबूल फरमायें
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 5:47am
आदरणीय सतविन्द्र जी सादर अभिवादन...
जुदाई सह नही पाया हुवा था दर्द सीने में
उसे ही याद रख्खा वही जीना सिखाएगी.......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service