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बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं/सतविन्द्र कुमार राणा

212 212 212 212
बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं
फिर भी होठों पे तेरे दुआ कुछ नहीं।

मर मिटा एक मुफ़लिस किसी शौक से
पर अमीरी नजर में हुआ कुछ नहीं।

हौंसलों से बनें काम सब जान लो
बुज़दिली से कभी तो बना कुछ नहीं।

बस तग़ाफ़ुल तेरा है बड़ा कीमती
इश्क से वास्ता अब रहा कुछ नहीं।

काम आलिम का होता बड़ा साथियो
सीखना उन बिना तो हुआ कुछ नहीं।

ज्यों जिए जा रहे बढ़ रही हसरतें
*जिंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं।*

हर तरफ इस कदर मच गयी खल बली
अब बड़े छोटे में फासला कुछ नहीं।

सब्र राणा हुआ धन बहुत ख़ास है
जान लो ये सभी जर बड़ा कुछ नहीं।
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:25pm
आदरणीय गिरिराज सर स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।यह तरही गजL ही ही है।मैं आपकी इस्लाह का ध्यान रखूँगा।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:23pm
आदरणीय विजय निकोरे सर यह स्नेह यूँ ही बना रहे!सादर हारदिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:21pm
आदरणीय धर्मेंद्र सिंह जी,गजल पसन्द कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:20pm
आदरणीय बृजेश ब्रज जी बहुत बहुत आत्भर प्रयास की पसन्दगी और प्रोत्साहन के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:19pm
आदरणीय समर कबीर साहब आपकी सुख़न नवाजी के लिए तहेदिल शुक्रिया मेहरबानी!सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:18pm
आदरणीय बैजनाथ जी,आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:17pm
आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी सादर नमन!यापको प्रयास पसन्द आया ,बहुत बहुत आत्भर पसन्दगी के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:16pm
आदरणीय श्याम नारायण जी अनुमोदन एवं स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए आभार।सादर

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Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2016 at 7:21pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें । तरही गज़ल कही है तो ऊपर लिख देना अच्छा होता है , ज़रूरी नही है फिर भी ।

Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 8:06am

खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई

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