For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - ये नई नस्ल है, तेरी भी दिवानी होगी ( गिरिराज भंडारी )

2122    1122    1122    22

बात सरहद पे अगर अब भी पुरानी होगी

तब दिलों मे हमें दीवार उठानी होगी

 

हर कहानी में हक़ीकत भी ज़रा होती है

ये हक़ीकत भी किसी रोज़ कहानी होगी

 

हाथ जिनके भी बग़ावत पे उतर आये हों

पैर में उनके भला कैसे रवानी होगी

 

सभ्य लोगों में असभ्यों की तरह बात तो कर

ये नई नस्ल है, तेरी भी दिवानी होगी

 

अपने अजदाद कभी राम-किसन-गौतम थे 

देखना घर मे बची कुछ तो निशानी होगी

 

रंग चांदी सा हुआ जाता है, अब बालों का

तिफ्ल खू सोच तेरी कब ये सयानी होगी

 

शब –ए- तारीक़ में जो रोज़ चमक उठती है   

रोशनी, चांद की फिर बात न मानी होगी

 

फिर किसी मौत का मजहब वो ले के आये हैं

कल किसी चौक पे फिर ज़हर बयानी होगी

****************************************

 मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 11:47am

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , गज़ल आपका आशीष पाके धन्य हुई ,  आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 11:46am

आदरणीय सौरभ भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार । आपको दो शे पसंद आये जानकर बहुत खुशी हुई , आभार आपका ।

Comment by vijay nikore on October 24, 2016 at 3:21pm

गज़ल बहुत अच्छी बनी है। बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 23, 2016 at 1:55pm

एक नम्र भाव की ग़ज़ल से आपने मंच को समृद्ध किया है आदरणीय गिरिराज भाई. बहुत खूब शेर हुए हैं. 

ये दो शेर विशेष तौर पर भा गये हैं -

सभ्य लोगों में असभ्यों की तरह बात तो कर

ये नई नस्ल है, तेरी भी दिवानी होगी

 

अपने अजदाद कभी राम-किसन-गौतम थे 

देखना घर मे बची कुछ तो निशानी होगी

दिल से दाद कुबूल कीजिए.. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:54pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , ग़ज़ल को आपका आशीष मिला , हार्दिक खुशी हुई , सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:52pm

आदरणीय बृजेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:52pm

आदरणीय बैजनाथ भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका ह्र्दय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:51pm

आदरणीय सुनील ' शाहाबदी' भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:51pm

आदरनीय विजय भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका ह्र्दय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2016 at 1:50pm

आदरणीय तस्दीक भाई , सुखन नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया । आपकी सलाह भी उचित है , आपका आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service