For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीमा ने बलिदान क्यों माँगा

कभी विधि चले  साथ 

कभी झटक दिए हाथ
कैसा ये खेल कैसे खिलौने 
बिन बदरा क्यों होती  बरसात    
अभी-अभी तो रशिम थी चौंधी
धरा का आँचल हुआ सुनहरा
बदरा को क्यों अभी था आना 
लगा देना  पारस पर पहरा 
  
अभी-अभी थी दामिनी  कौंधी 
हुआ अवाक तिमिर घन बहरा
जुगनू को क्यों खबर थी होनी 
गहन गुफा में रहता ठहरा 
 
अभी-अभी तो कली थी चौंकी 
उतरा था  घूंघट का पहरा 
पवन को क्यों था झोंका होना
ढलकाना  खुश्बू का  गगरा 
 
अभी-अभी तो लब थे बोले  
गागर में सागर सा  ठहरा   
अब अर्थों को क्यों था खोना 
शब्दों को होना था बहरा 
 
अभी-अभी सिन्दूर चढ़ा था 
मेंहदी का रंग हुआ था गहरा 
सीमा ने  बलिदान क्यों माँगा 
विधि-दंश का गरल ये गहरा  
 
 
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on November 1, 2016 at 9:59pm

आ० कल्पना जी ,अर्पणा जी ,गिरिराज जी  आशीष जी 

प्रोत्साहन  के लिए  आभार 

सस्नेह 

अमिता 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 8:31pm

बहुत बढ़िया रचना |

Comment by Arpana Sharma on October 4, 2016 at 3:48pm
एक शहीद की दुल्हन के मार्मिक भावों को दर्शाती कविता । मन को गहरे छू गई अमिता जी। बहुत सुंदर रचना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2016 at 12:49pm

आदरनीया अमिता जी , आपको इस प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाइयाँ । किस विधा मे आपने रचना की है लिख देने से कुछ कहने और समझने मे आसानी होती ।

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on October 2, 2016 at 10:16am

आदरणीया अमिता तिवारी जी!!!

बढ़िया  रचना है....बहुत बहुत बधाई आपको!!

सादर!!!

Comment by amita tiwari on October 1, 2016 at 7:09pm

मान्य  सुरेश जी,शकूर जी,सविता मिश्र जी ,समीर कबीर जी ,श्याम नारायण जी ,

आप सब की प्रोत्साहन सराहना से बहुत उत्साहित हूँ .

आभार स्वीकार करे.

सादर

अमिता  

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 1, 2016 at 3:17pm
आदरणीया अमिता तिवारी जी सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 1, 2016 at 1:04pm

अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by savitamishra on October 1, 2016 at 12:02pm

बहुत बढ़िया रचना |

Comment by Samar kabeer on October 1, 2016 at 10:35am
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,भावपूर्ण रचना के लिये बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service