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ग़ज़ल -चरागों को जलाने का कोई तो ढब ज़रूरी है ( गिरिराज भंडारी )


1222    1222    1222    1222 

मुख़ालिफ इन हवाओं में ठहरना जब ज़रूरी है

चरागों को जलाने का कोई तो ढब ज़रूरी है

 

रुला देना, रुलाकर फिर हँसाने की जुगत करना

सियासत है , सियासत में यही करतब ज़रूरी है

 

उन्हें चाकू, छुरी, बारूद, बम, पत्थर ही दें यारो  

तुम्हें किसने कहा बे इल्म को मक़तब ज़रूरी है

 

तगाफुल भी ,वफा भी और थोड़ी बेवफाई भी

फसाना है मुहब्बत का, तो इसमें सब ज़रूरी है

 

पतंगे आसमाँनी हों या रिश्ते हों ज़मीनों के

यहाँ पर ढील भी, जानें कि, देना कब ज़रूरी है

 

वो दे कर ज़ह्र,.. मेरा वक़्त में करते हैं चारा भी 

मेरा मरना, मेरा जीना उन्हें तो सब ज़रूरी है

 

हवा की सरसराहट को भी कुत्ते भाँप सकते हैं

तो फिर इंसाँ तो ये जाने बयाँ क्या?..कब ज़रूरी है

 

अगर अंजाम हर इक ज़िन्दगी का मौत ही है, तो

तुम्हीं कह दो, कहाँ ,कैसे ,किसीको रब ज़रूरी है
*********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:33pm

आदरणीय नवीन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:32pm

आदरणीया अलका जी , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:31pm

आदरणीय सुरेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:30pm

आदरनीय समर भाई , हौला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

आपकी सलाह उचित है , मै सुधार कर लूँगा , आपका हार्दिक आभार सलाह के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:28pm

आदरनीय शेख शहज़ाद  भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:27pm

आदरनीय शिज्जु भाई , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:27pm

आदरनीय आशीष भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया आपका ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:08am
वाह सर दिल जीत लिया ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 27, 2016 at 10:50am
आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई।सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 10:18am
आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी बेहतरीन गजल रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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