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ग़ज़ल - वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले

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तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।

न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।

है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।

तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।

बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।

ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया आजमाने से पहले ।।

जुबाँ को हया ने इजातजत कहाँ दी ?
शबे वस्ल नजरें झुकाने से पहले ।।

बयां कर गयी सारे चेहरे की रंगत ।
तेरे दर्दे गम को छुपाने से पहले ।।

तू कहकर गया अलविदा फख्र से क्यों ।
जनाजे को मेरे उठाने से पहले ।।

मौलिक व अप्रकाशित
- नवीन मणि त्रिपाठी

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 25, 2016 at 1:00pm

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय नवीन जी, दाद कुबूल करें

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 24, 2016 at 10:37pm
भाई डॉ आशुतोष मिश्र जी विशेष आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 24, 2016 at 10:36pm
आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2016 at 8:25pm
आदरणीय नवीन जी कमाल की ग़ज़ल हुईःहै हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:30pm
भाई सुरेश कल्याण जी विशेष आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:30pm
आदरणीय गोपाल नारायण सर आपका सुझाव मैंने मान लिया है ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 9:29pm
आदरणीय भंडारी साहब सादर नमन आपने सही पकड़ा है । मैंने अपनी मूल प्रति में सुधार कर लिया है । गुनगुनाने की जगह गीत गाने से पहले लिख दिया है ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2016 at 8:32pm

आ० नवीन जी  ऐसा कर सकते है -

 

तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत  गीत गाने  से पहले ।।-----------------------सादर


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Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2016 at 11:32am

आदरनीय नवीन भाई , गज़ल बहुत अच्छी  हुई है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें । पर एक गम्भीर गलती काफिया बन्दी मे हो गई है , जिसके कारँ बाक़ी शेर खारिज हो रहे हैं --
तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।        मतले मे आपने काफिया -  उनाने  तक कर लिया है , और बाक़ी शे र मे  आने बिभाया है । अतः  मतले मे सुधार अनिवार्य है , नही तो बाक़ी शे र खारिज हो जायेंगे ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 23, 2016 at 11:01am
न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले।
वाह बहुत खूब आदरणीय।बधाई स्वीकार करें ।

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