For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर कली अब कमल हो रही है

212  212  212  2

 

जिन्दगी अब सरल हो रही है

बात हर इक गजल हो रही है 

 

दलदली हो चुकी है जमीं पर,

हर कली अब कमल हो रही है

 

तितलियाँ भर रहीं हैं उड़ानें

नीति बेशक सफल हो रही है

 

आ रहा है कहीं से उजाला

रौशनी आजकल हो रही है

 

मखमली हो रही हैं हवाएं

मेंढकी भी विकल हो रही है

 

है दरोगा बड़ा लालची वो

धारणा अब अटल हो रही है

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 1, 2016 at 5:22pm
आदरणीय श्री अशोक कुमार रक्ताताले जी बहुत ही सुन्दर गजल हुई है। सस्नेह बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Harash Mahajan on August 1, 2016 at 4:06pm

आदरणीय अशोक जी इस खूबसूरत ग़ज़ल पर मुबारकबाद स्वीकार  करें !!

साभार !!

Comment by Ravi Shukla on August 1, 2016 at 3:27pm

आदरणीय अशोक जी  , क्या बात है , बहुत बढि़या गज़ल कही है , सभी अशआर क़ाबिले दाद हैं । मुबारकबाद कुबूल करें । बाकी के पांच शेर के मुकाबले एक शेर तुलनात्‍मक रूप से कम प्रभावित कर रहा है रोशनी आजकल हो रही है इस  शेर में बाकी शेर की तरह अर्थ का विस्‍तार हमें नहीं लगा । अन्‍यथा नहीं लीजियेगा । आप गाने में भी सुरीले है उज्‍जैन में पता चला था इस गजल को आपसे सुनना और भी अच्‍छा अनुभव होगा । सादर । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 1, 2016 at 11:17am

आदरणीय अशोक भाई , क्या बात है , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अशआर क़ाबिले दाद हैं । मुबारकबाद कुब्प्प्ल कीजिये ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 7:09am
दलदली हो चुकी है जमीं पर,
हर कली अब कमल हो रही है

तितलियाँ भर रहीं हैं उड़ानें
नीति बेशक सफल हो रही है

आ रहा है कहीं से उजाला
रौशनी आजकल हो रही है

बहुत खूब आदरणीय अशोक जी । हार्दिक बधाई स्वीकारें मान्यवर ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 29, 2016 at 6:05pm

आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी सादर, प्रस्तुत गजल पर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आपका दिल से शुक्रिया. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 29, 2016 at 6:04pm

सादर आभार आदरणीय समर कबीर साहब, मैं आपके द्वारा इंगित शैर हटा लेता हूँ और एक बदलाव कर पुनः संशोधित गजल पोस्ट करता हूँ. आपका दिल से शुक्रिया. सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 29, 2016 at 5:39pm

आदरणीय अशोक जी इस उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Samar kabeer on July 29, 2016 at 2:46pm
"तितलियों"वाला मिसरा आपके बताये बिम्ब के अनुसार ठीक है,"रौशनी आजकल हो रही है" ये मिसरा ठीक रहेगा । लेकिन "मुग़ल"वाला शैर हटाना पड़ेगा,या कोई दूसरा क़ाफ़िया सोचियेग । ग़ज़ल पर पुनः बधाई आपको ।बाक़ी शुभ शुभ
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 29, 2016 at 1:33pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर, प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए आपका दिल से आभार. सादर. अच्छी सलाह है आपकी मैं आदरणीय समर साहब के विचारों को जान लूँ, फिर बदलाव करता हूँ. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
16 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
21 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
34 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
36 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
41 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
46 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
48 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
52 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
54 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service