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चोर को चोर कहना गुनाह होता है - डॉo विजय शंकर

हर गुनाह की सजा होती है ,
ये तो पता नहीं ,
पर हर गुनाह पर किसी न किसी का
हक़ होता है , ये पता है।
कभी कोई गुनाहगार मजबूर लाचार भी होता है ,
ये तो पता नहीं ,
पर बड़ा गुनाहगार अक्सर बड़ा ताक़तवर होता है ,
ये सबको पता है।
चोरी तो चौसठ कलाओं में से एक है ,
पता है न ,
पर चोर ताक़तवर हो तो
चोर को चोर कहना गुनाह होता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on July 28, 2016 at 8:55am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडे जी , रचना पर उपस्थिति एवं विशद टिप्पणी हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by pratibha pande on July 27, 2016 at 9:12pm

 सशक्त कथ्य  बुने हैं आपने  अपनी रचना में ,रचना छोटी है पर गहरे मर्म संप्रेषित कर रही है   हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 27, 2016 at 6:53am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना पर उपस्थिति एवं उत्साहवर्द्धक टिप्पणी के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 26, 2016 at 5:27pm

आदरनीय विजय भाई , आपने अनुभव सत्य बात कही है , सच है चोर को चोर कहना गुनाह होता है , अगर वह ताक़तवर है । हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:31am
आदरणीय महेन्द्रकुमार जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने और आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , ये की जगह यह किया जा सकता है , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:27am
आदरणीय श्री सुनील जी , कविता पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:27am
आदरणीय सुशील सरना जी , रचना पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on July 26, 2016 at 6:33am
//चोर को चोर कहना गुनाह होता है।// एकदम सटीक बात। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी। क्या 'ये' की जगह 'यह' का प्रयोग किया जा सकता है? सादर!
Comment by shree suneel on July 26, 2016 at 2:57am
छोटी.. मगर सशक्त प्रस्तुति! दिल से बधाई आपको आदरणीय डा0 विजय शंकर सर जी. सादर.
Comment by Sushil Sarna on July 25, 2016 at 6:56pm

चोर को चोर कहना गुनाह होता है।.... यथार्थ को जताती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आ. विजय शंकर जी। 

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