For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कार से टकरा कर लहूलुहान हुए बासाहब से इंस्पेक्टर ने दोबारा पूछा , “ क्या सोचा है ? कार सुधराई के पैसा देना है या नहीं ?”

“साहब ! बहुत दर्द हो रहा है. अस्पताल ले चलिए.” वह घुटने संहाल कर बोला तो इंस्पेक्टर ने डपट दिया,“अबे साले ! मैं जो पूछ रहा हूँ, उस का जवाब दे ?” कहते हुए जमीन पर लट्ठ दे मारा.

“साहब ! मेरा जुर्म क्या है ? मैं तो रोड़ किनारे बैठा था. गाड़ी तो लड़की चला रही थी. उसी ने मुझे टक्कर मारी है. साहब मुझे छोड़ दीजिए. ” वह हाथ जोड़ते हुए धीरे से विनय करने लगा.

“जानता है ? वह किस की लड़की है ?”

“जी साहब. मैं नहीं जानता हूँ  .”

“वह एसपी साहब की लड़की है. यदि कार सुधराई का पैसा नहीं दिया तो समझ कि तू ...”

इंस्पेक्टर साहब की बात पूरी नहीं हुई थी कि पास खड़ा सिपाही बोल पड़ा, “ साहब ! इस की हालत ख़राब है. छोड़ दीजिए बेचारे को. गरीब आदमी है. फिर साहब, हम इसे किस जुर्म में बंद करेंगे ?”

यह सुनते ही इंस्पेक्टर को करंट का झटका लगा, “ नौकरी करनी है या नहीं ? जानते हो आज शाम तक एक केस देना है. यदि वह नहीं मिला तो समझो नौकरी संकट में...” कहते हुए इंस्पेक्टर ने तिरछी निगाहों से बासाहब को देखा जो उन्हें दारू पी कर सड़क पर हंगामा करते नजर आ रहे थे.

---------------------------

०३/०५/२०१६

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on May 6, 2016 at 7:07am
आदरणीय मिथिलेशजी वामनकर जी आप की समीक्षात्मक टिप्पणी बहुत कुछ सीखा जाती है. आप का लघुकथा पर उपस्थित हो कर अपनी बात रखना मेरे लिए गर्व् की बात है. निसंदेह इस मंच से दिया गया हर सुझाव मानने योग्य होता है. यह मेरा निजी मत है. आदरणीय मिथिलेश जी आप का इस समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए शुक्रिया.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 5, 2016 at 11:53pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी, अपने कथ्य को शाब्दिक करने में सफल और प्रभावित करती लघुकथा लिखी है आपने. प्रशासन में व्याप्त इस विसंगति को सटीक शब्द मिले है और लघुकथा गहरे तक प्रभावित करती है. इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर 

Comment by Omprakash Kshatriya on May 5, 2016 at 6:07pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आप के इस समर्थन के लिए शुक्रिया.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 5, 2016 at 4:22pm
प्रशासनिक उठाईगिरी को बेहतर शब्द देती हुई लघुकथा-- सौरभ जी का यह कथन इस कथा की सच्ची पड़ताल करता है .
Comment by Omprakash Kshatriya on May 4, 2016 at 3:17pm
आदरणीय कल्पना भट्ट जी आप ने लघुकथा को अपना समर्थन दिया, इस हेतु आप का तहेदिल से शुक्रिया.
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 4, 2016 at 1:52pm

गंभीर विषय को उजागर करती हुई यह कथा बहुत सुंदर हुई है आदरणीय ओम्प्रकाश जी | हार्दिक बधाई | 

Comment by Omprakash Kshatriya on May 4, 2016 at 10:45am
शुक्रिया आदरणीय विजय शंकर जी आप का. लघुकथा पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर अपना समर्थन देने के लिए आभार.
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2016 at 8:55am
आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी , बहुत ही गम्भीर विषय पर लिखने के लिए बधाई , सादर।
Comment by Omprakash Kshatriya on May 4, 2016 at 7:56am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आप की प्रतिक्रिया मुझे सम्बल प्रदान करती है. सामयिकता पर आधारित आप के विचारों का मुझे सदैव इंतजार रहता है. आप की इस समीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
Comment by Omprakash Kshatriya on May 4, 2016 at 7:51am
आदरणीय तेज वीर सिंह जी बहुत दिनों के बाद आप की प्रतिक्रिया पा कर अच्छा लगा. आभार आप का प्रतिक्रिया के लिए.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Wednesday
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service