For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज का मामला बहुत गंभीर था| पूरे थाने को अकेले एक हवलदार के भरोसे छोड़कर बाकी सभी पुलिसकर्मी रात से उसी स्थान के आस-पास उसे तलाश रहे थे| सवेरा होते-होते सभी के चेहरों पर थकान झलकने लगी, सवेरे की पाली के  पुलिसकर्मीयों को भी वहीँ बुला लिया गया| लेकिन ऊपर से आदेश होने के कारण रात्रि की पाली वाले भी नहीं जा सकते थे|

इतने में वृत्तनिरीक्षक के पास अधीक्षक का फोन आया, उसने फ़ोन उठाया और कहा, "जय हिन्द हुजूर! ....... अभी तक कोई हलचल नहीं हुई है ......... अच्छा! अभी भी इसी इलाके में होने की सम्भावना है, फिर से सर्च करवाता हूँ..."

फोन रखते ही वृत्तनिरीक्षक ने चारों तरफ नजरें घुमाई और सबको संबोधित करते हुए कहा, "वो यहीं-कहीं होना चाहिए|" उसके कहते ही सभी मुस्तैद हो गये और चारों तरफ खोजी निगाहों से देखना शुरू कर दिया|

तभी उनमें से किसी को गली के पीछे से झांकती एक परछाई दिखी, वो चिल्लाया, "अरे..कहीं वहां तो नहीं"

पूरा दस्ता उस तरफ दौड़ा, उसे दूर से देखते ही वृत्तनिरीक्षक ने कहा, "हाँ! शायद वही है..."

पुलिसकर्मियों को दौड़ कर आते देख वो भी मुड़ कर भागा, लेकिन अधिक दूर भाग नहीं पाया, आखिरकार पकड़ा गया|

वृत्तनिरीक्षक के पास उसको लाया गया, उसने उसकी गर्दन को पकड़ कर नीचे झुकाया, और गले के पट्टे पर सुनहरे अक्षरों में अंग्रेजी में खुदे 'टॉमी' नाम देखकर हाँ  की मुद्रा में गर्दन हिलाई, 'टॉमी' भौंक रहा था, उसके मुंह से गुस्से में अनायास निकल गया, "चुप कर मंत्री जी के कु....."

पूरा वाक्य वो कह नहीं पाया लेकिन सबके साथ उसने भी राहत की साँस ली|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 1, 2016 at 7:22pm

आदरणीया Rahila जी, आदरणीया kanta roy जी, आदरणीया annapurna bajpai जी, आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी, आदरणीय  जयनित कुमार मेहता जी, आप सभी का सादर आभार, आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा और अपनी स्नेहयुक्त टिप्पणी से आपने मेरा उत्साहवर्धन किया| सादर,

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 28, 2016 at 9:30am

वाह! आदरणीय चंद्रेश कुमार जी। कहाँ इंसानों की सुधि लेने वाले जल्दी दिखते नहीं, और कहाँ एक पालतू कुत्ते के लिए इतनी भागदौड़।ल।।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 25, 2016 at 4:48pm

हा हा बेहतरीन पञ्च आदरणीय चन्द्रेश  जी.नेताओं के जानवरों की भी  रखवाली..और  गम जाने पर स्पेशल सर्च .आम जन में से कोई मरे कोई गुम उनका कुछ नहीं..बहुत खूब. हार्दिक बधाई.

Comment by annapurna bajpai on February 25, 2016 at 12:36pm

वाह , वाह क्या खूब लघु कथा लिखी है , जबर्दस्त पंच ! 

Comment by kanta roy on February 24, 2016 at 11:20am
वाह ! क्या अद्वितीय संप्रेषण हुआ है यहाँ आपका लघुकथा में आदरणीय चंद्रेश जी ! फिर से चकित हूँ मै । पूरे थाने को अकेले एक हवलदार के भरोसे निकल पड़े ढूंढने , रात से सुबह कर दिया और पूरी टीम ने जी - जान लगा कर , तन्मयता से आखिर ढूंढ ही लिया मंत्री जी के " टाॅमी " को ।
यहाँ कुत्ते और गले की सुनहरी नाम वाली पट्टी का बतौर प्रतीक बहुत ही सघे हुए अंदाज़ में प्रयुक्त किया है । पुलिसनुमा टाॅमी .... क्या बात है इस लेखन का ।
ढेरों बधाई आपको ।
Comment by Rahila on February 24, 2016 at 9:39am
ओह. .सारी कवायत मंत्री जी के लाड़ले के लिये । बहुत खूब, शानदार रचना । बहुत बधाई आदरणीय सर जी! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service