For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दफ़्तर के गेट के बाहर अपनी स्कूटी निकाल ही रही थी कि एक बूढ़ी भिखारिन ने अपना भीख का कटोरा उसके आगे कर दिया ।वह उसे देखते ही पहचान गई , क्योंकि उसके मौहल्ले में भी अक़्सर वह भीख माँगा करती थी । उसने  चिल्लर कटोरे में डाल कुछ अनुमानते हुए चोर नज़रें उसके पैरों पर टिका दीं ।  

" ये क्या ? फिर नंगे पैर ? वो चप्पल कहाँ हैं , जो परसों ही मैंने पहनने को दी थीं ?

" घर रख दी बाईजी । उसी रोज़ कहा था , पैसा-लत्ता दे दो बस । पर आप मानी ही नहीं । "

" एक तो तुम्हारे बुढ़ापे पे तरस खा सिर्फ दो बार पहनी कीमती चप्पलें झट उठाके दे दीं , और तुम हो कि ...।"

" नाहक़ गुस्सा होती हैं बाईजी ।पापी पेट का सवाल है । जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi bansal goyal on September 13, 2015 at 6:58pm

kashma chahti hun aadarneey rajesh kumari ji ... darasal vah laghukatha itne farmeton me chhapkar prasarit ho chuki hai ki link dhoondh paana asambhav hai . sadar .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 2:19pm

प्रिय शशि बंसल जी ,आपका कमेन्ट आज ही पढ़ा है सुनकर खराब लगा नेट पर इस तरह के लोगों की कमी नहीं जो दूसरों की रचनाएँ अपने नाम से या बेनाम इधर उधर पोस्ट कर देते हैं पोस्ट करें बेशक पर लेखक का नाम तो लिख दें |क्या  आप कोई लिंक दे सकती है ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 29, 2015 at 10:45am

"जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला ।" धन दौलत के अहम पर चोट करती सुंदर लघु कथा 

Comment by pratibha pande on August 28, 2015 at 11:17pm
बहुत बढ़िया कथा है शशि जी ,अपने शीर्षक को सार्थक करती हुई ,बधाई आपको
Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 10:46pm

जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला........ वाह....बहुत सार्थक लधुकथा हुई है यह .....बधाई स्वीकार करे आदरणीय़ शशि बंसल जी .

Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:09pm
आद0 रवि प्रभाकर जी आपकी प्रतिक्रिया किसी पुरूस्कार से कम नहीं है मेरे लिए । तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपकी , जो आपने अपना अमूल्य समय व प्रतिक्रिया दी ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:07pm
आद0 मिथिलेश जी हृदय तल से शुक्रिया आपका ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:06pm
आद0 अर्चना जी आभारी हूँ आपके सदा स्नेहिल सहयोग और मार्गदर्शन के लिए ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:05pm
आद0 राजेश कुमारी जी तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आपकी राखी विषय पर आधारित रचना ने बहुत धूम मचाई हुई है । तरह तरह से सन्देश के रूप में प्रचारित और प्रसारित हो रही है । परंतु ये दुखद है कि साथ में नाम नहीं लिखा जा रहा है । सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:00pm
आद0 maharshi tripathi जी हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service