For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज का समाचार (लघु कथा) // शुभ्रांशु पाण्डेय

“अरे, पेपर कहाँ है ?” - राजेश ने पूछा.
“तुम्हे भी नहीं पता ? मुझे लगा हमेशा की तरह ले कर चले गये होगे फ़्रेश होने. कितनी बार कहा है सबसे बाद में पढा करो. तुम्हारे बाद कोई छूना नहीं चाहता है उसे.” 
“कान्ता बाईऽऽऽ.. पेपर आया था आज ?” - संगीता चीखी.
“हां, मैने पेपर ले कर बेड पर रख दिया है..” 

उधर बेड पर नन्हा चुन्नू पेपर ’पढ़ने’ में लगा था.

पहला पन्ना फ़्लिपकार्ट का ऐड था, जो बिस्तर के एक कोने में पडा़ था. हेड लाइन.. . सरकार ने भ्रष्टाचारियों पर… इसके आगे सुबह का पीया हुआ दूध उल्टी की शक्ल मे रिसते हुए स्पोर्टस पन्ने पर बीसीसीआई के अफ़्रीकी अकाउण्ट और उसके लेन-देन तक पहुँच गया था. शेयर बाजार तो कब का चुन्नू के प्रयासों से दो फाड़ हो चुका था. एडिटोरियल के तीखे सवालों पर अब चुन्नू बिना चड्डी दम लगा रहा था. थोडी-बहुत सफलता मिल भी गयी थी. शहर और आस-पास की खबरें उसके दम के पहले रिसाव से ही गीली हो चुकी थीं.
कान्ता बाई ने पेपर और चुन्नू दोनों को धीरे से उठाया. अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों से चुन्नू के पिछवाड़े की सफाई की और आज के ’देश’ ही नहीं समूचे ’विश्व’ को बाहर के डस्टबीन में डाल दिया. 

************************

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2015 at 6:07pm

भाई शुभ्रांशु, इस लघुकथा की धार की गहनता बहुत ही अधिक है. यह अंदर बहती हुई बहुत तीव्र है लेकिन ऊपर से कितनी आत्मीय सी शान्त दिखती है. ऐसे इंगित ही रचनाओं को कालजयी बनाते हैं. ऐसी लाक्षणिक रचनाएँ ही वृहद पाठक वर्ग बनाती हैं.
लघुकथा का जो एक प्रारूप सा बन गया है. उससे इतर ऐसे पैने व्यंग्य को लघुकथा में महसूस करना आश्वस्त कर रहा है कि ओबीओ का मंच सम्पूर्णता में किसी विधा को प्रश्रय देता है.
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 3:28am

हा हा हा 

बहुत बढ़िया व्यंग्य है बिलकुल सटीक 

लघुकथा जैसी कठिन विधा में इतनी जबरदस्त पकड़ 

आदरणीय सुभ्रांशु जी आपकी प्रतिनिधि रचनाओं में से एक तो आज मैंने पढ़ ली 

आपने लघुकथा के एक नए  आयाम से परिचित कराया 

आपका आभार 

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 11:04pm

आदरणीय वीनस भाई. 

कथा पर विचार देने के लिये आभार. आरक्षण के लिये दिन भी अब निश्चित कर दिया है. शीघ्र ही आपकी इच्छा पूर्ति करने की कोशिश करुँगा.

सादर

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 11:01pm

आदरणीय विनय जी.

आपके विचारों हमेशा प्रतिक्षा रहती है . उत्साहवर्धन के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 11:00pm

आदरणीया कान्ता जी, 

रचना पर आने केलिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 10:59pm

आदरणीया शशि जी, 

रचना पर अपने विचार देने और उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद. 

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 10:58pm

आदरणीय विजय शंकर जी, 

रचना पर अपने विचार देने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 10:57pm

आदरणीय धरमेंद्र जी, 

रचना पर आने और उत्साह वर्धन के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 23, 2015 at 10:56pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी,

रचना पर् अपने विचार देने के लिये धन्यवाद. चित्र से काव्य के आयोजन में आपनी ओर से एक लघु कथा देने की कोशिश कर रहा हूँ. पिछले चित्र से काव्य आयोजन के बाद भी सम्बल नाम से एक लघु कथा दी थी. आपको पसंद आयी इसके लिये आभार.

सादर.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 23, 2015 at 5:09pm
लाजवाब रचना आद: शुभ्रांशु जी। सादर बधाई।
बहुत ही सुन्दर रचना बनी है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
20 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service