For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भाषा- मानव-समाज के लिए भाषा बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। इसके माध्यम से ही मनुष्य विचारों और भावों का आदान-प्रदान करता है। भाषा संप्रेषण का मुख्य साधन होती है। वैसे तो संप्रेषण संकेतों के माध्यम से भी हो सकता है लेकिन सांकेतिक क्रिया-कलापों को भाषा नहीं माना जा सकता।

       ‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है- बोलना, कहना। भाषा हमने बोलकर पाई है, बाद में इसे लिपिबद्ध किया गया।

       भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त ध्वनि संकेतों की व्यवस्था ‘भाषा’ कहलाती है। इन ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक निश्चित व्यवस्था में मिलकर भाषा का निर्माण करते हैं। इस प्रकार, भाषा व्यक्त नाद की वह समष्टि है जिसके द्वारा किसी समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार प्रकट करते हैं।

संसार में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे- हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बँगला, उर्दू,  रोमन, तेलुगु, फ्रैंच, चीनी, जर्मन इत्यादि। भारत के संविधान में २२ भाषाओं को मान्यता प्रदान की गयी है- असमिया, ओड़िया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगु, नेपाली, पंजाबी, बंगला, बोडो, मणिपुरी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिन्धी, मराठी, हिंदी।

       हिंदी भाषा का क्षेत्र आज बहुत व्यापक हो गया है। विश्व के १५० से भी अधिक विश्वविद्यालयों में यह भाषा पढ़ाई जाती है।

भाषा के रूप- भाषा दो रूपों में प्रयुक्त होती है- मौखिक और लिखित।

       ‘मौखिक भाषा’ ही भाषा का मूल रूप है। मनोभावों को बोलकर प्रकट करते समय भाषा के मौखिक रूप का प्रयोग किया जाता है जबकि पत्र, लेख आदि के द्वारा अपने भाव या विचार प्रकट करते समय भाषा के लिखित रूप का प्रयोग होता है।

मातृभाषा- जन्म से हम जिस भाषा को बोलते-समझते हैं, वह मातृभाषा कहलाती है। इस भाषा को बालक अपने परिवार से सीखता है। 

राष्ट्रभाषा- किसी देश के अधिकांश नागरिकों द्वारा जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है।

राजभाषा- किसी देश के सरकारी काम-काज में जो भाषा प्रयुक्त होती है, उसे राजभाषा कहा जाता है। १४ सितम्बर, १९४९ को भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई लेकिन अंग्रेजी को सह-राजभाषा के रूप में जारी रखा गया।

बोली- भाषा का एक सीमित क्षेत्र मेँ बोला जाने वाला रूप बोली कहलाता है। बोली एक बड़े भू-भाग में प्रयुक्त होने वाली भाषा का क्षेत्रीय तथा अर्ध विकसित रूप है। कई बोलियों की समान बातें मिलकर भाषा बनाती हैं। आमतौर पर ‘बोली’ का संबंध बोलने तक सीमित रहता है और इसमें लिखित साहित्य नहीं होता। कई बार बोली विकसित होकर लोक-गीत, लोक-कथा आदि रूपों में भी सामने आती है। हिंदी भाषा की १८ बोलियाँ प्रचलित हैं। पहले ब्रज, अवधी, मैथिली बोलियाँ ही थीं जो आज विकसित होकर भाषाएँ बन गई हैं।   

      

लिपि- भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं- भाषा और लिपि। वर्णों का उच्चारण ध्वनियों से होता है। इन मौखिक ध्वनियों को जिन निश्चित चिन्हों के माध्यम से लिखा जाता है, उसे लिपि कहते हैं। लिपि भाषा को लिखने की रीति है। अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन और उर्दू भाषा की लिपि फारसी है। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है जबकि दो या अधिक भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। उदाहरणार्थ- पंजाबी भाषा गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनों लिपियों में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि देवनागरी लिपि में ही लिखी जाती हैं।

 

व्याकरण- व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान कराता है। यह नियमबद्ध योजना है जो भाषा के स्वरुप का निर्धारण करती है। व्याकरण के द्वारा शब्दों के शुद्ध स्वरुप व उच्चारण, शब्द-प्रयोग, वाक्य-गठन आदि का निर्धारण किया जाता है।

व्याकरण के अंग- व्याकरण के चार अंग निर्धारित किये गये हैं-

1. वर्ण-विचार- इसमें वर्ण-आकार, उच्चारण, भेद और मिलान की विधि बताई जाती है।

2. शब्द-विचार- इसमें शब्द-रूप, भेद, व्युत्पति आदि का वर्णन किया जाता है।

3. पद-विचार- इसमें पद तथा उसके भेदों का अध्ययन किया जाता है।

4.  वाक्य-विचार- इसमें वाक्य-भेद, वाक्य बनाने की विधि तथा विराम-चिह्नों का वर्णन होता है।

                  - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 2028

Replies to This Discussion

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

महत्वपूर्ण जानकारी देता सरल स्वरूप में लेख की प्रस्तुति हेतु आभार .

आदरणीय प्रदीप जी, आपका हार्दिक आभार!

एक सरल किंतु अत्यंत आवश्यक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाई बृजेशजी.

विश्वास है, आप इस लेख को क्रमवत प्रारूप देंगे. आपका यह लेख व्याकरण के अंतर्निहित विन्दुओं पर चर्चा से पूर्व का भाषायी समझ पर क्रमवार एक सुन्दर प्रस्तुति होगा.

शुभेच्छाएँ.

जी आदरणीय! हिंदी व्याकरण के अध्ययन के क्रम में ही यह पहला लेख प्रस्तुत किया है.

आदरणीय बृजेश जी:


यह जान कर प्रसन्न्ता हुई कि आप हिन्दी भाषा/व्याकरण पर श्रंखला प्रस्तुत करने वाले हैं।

 

जैसा कि मैंने आपको गत वर्ष बताया था, मैं और मेरी जीवन साथी नीरा जी यहाँ यू.एस.ए. में बच्चों को भारतीय संस्कृति और हिन्दी पढ़ाते हैं, अत: आपकी यह श्रंखला लाभदायक होगी।

 

यह बच्चे अन्ग्रेज़ी व्याकरण अच्छी तरह जानते हैं .. परन्तु हिन्दी में पुलिंग/स्त्रीलिंग समझने में और क्रिया के प्रयोग में इन्हें कठिनाई होती है, विशेषकर उन बच्चों को जिनके घर में हिन्दी नहीं बोली जाती। कई बच्चों के परिवार दक्षिण भारत से हैं, और उनके माता-पिता भी हिन्दी कम जानते हैं, अत: उन्हें घर से भी हिन्दी जानने की सहायता नहीं मिल पाती। इसलिए इस श्रंखला में यदि आप fundamentals पर ज़ोर दे सकें तो अच्छा रहेगा।

 

सादर,

विजय निकोर 

आदरणीय निकोर साहब! आप हिंदी प्रचार-प्रसार का जो महती कार्य कर रहे हैं वह स्तुत्य है. 

मेरा प्रयास यही है कि हिंदी व्याकरण की मूलभूत जानकारियों का खुद भी अध्ययन करूँ और यहाँ भी प्रस्तुत कर सकूँ!

सादर!

आदरणीय बृजेश सर:
बहुउपयोगी जानकारी आपने साझा की है.
इसी श्रंखला में अग्रिम लेखों की सादर प्रतीक्षा रहेगी...
आपका हार्दिक धन्यवाद
सादर
भाषा पर लेख पढकर अच्छी अनुभूति हुई । बोली और लिपि के प्रसंग बहुत ही लाभकारी है । हिन्दी कक्षा के लिए बडी ही उपयुक्त सामग्री है यह भाषा का विचार । आभार आपको इस उपयोगी लेख के लिये आदरणीय बृजेश नीरज जी ।

हमारी हिंदी विशव् की   दूसरी सबसे बड़ी भाषा है । भारत व दूसरे  देशों में करीब 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते,पढ़ते और लिखते हैं।इतना ही नहीं दुनिया में  दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल में  भी  हिन्दी नेपाली और थारु भाषा बोली जाती है   हिन्दी भाषा प्रेम,मिलन और सौहार्द की भाषा है।अपने इस मातृभाषा के तकनीकों को पढ़कर बहत आनंद आया।  आभार आपको इस सुन्दर विवेचंना को यहाँ  संलग्न करने के लिए आदरणीय  बृजेश नीरज जी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service