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गजल- दिलबर का दीदार जिन्दगी

२२ २२ २२ २२

कहीं पे' ठण्डी' बयार जिन्दगी ।
कहीं लगे अंगार जिन्दगी ।।

पतझड और बहार जिन्दगी ।
सुख दुख का व्यापार जिन्दगी ।।

जाने कितने रंग से' खेलें।
होली का त्यौहार जिन्दगी ।।

नानी माँ की गोद में' है तो।
इमली,आम,अचार जिन्दगी ।।

इश्क के' मारों से जो पूछा।
दिलबर का दीदार जिन्दगी ।।

उनके होंटों के साहिल पर।
फूलों सी रसदार जिन्दगी ।।

कौन समझ पाया है इसको।
उलझन का संसार जिन्दगी ।।

कल राहुल फुटपाथ पे' देखी।
बेबस औ'र लाचार जिन्दगी ।।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 2, 2015 at 1:48pm

कभी लगे साजन का खत है।
कभी दिखे अखबार जिन्दगी ।।

हर शेर बेहतरीन हुआ है,गेयता भी कमाल! दिल से दाद प्रेषित है!

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 1:26pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी शुक्रिया

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Comment by rajesh kumari on July 2, 2015 at 12:54pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है राहुल जी हार्दिक बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 11:35am
आदरणीय धर्मेन्दर जी शुक्रिया
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 2, 2015 at 11:24am
बहुत खूब राहुल साहब, दाद कुबूल करें
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 9:24am
आदरणीय परी जी शुक्रिया
Comment by Pari M Shlok on July 2, 2015 at 9:15am
Rahul Dangi जी बेशक हर शेर के गज़ब मायने उम्दा पेशकश
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 7:42am
आदरणीयों इसमें दो शे'र और जोडे है पर वे पहले फेसबुक पर लिख दिये इसलिए एडिट करके नहीं जोड रहा। पर आपकी सलाह जरूर चाहुगाँ।

कभी लगे साजन का खत है।
कभी दिखे अखबार जिन्दगी ।।

बचपन की यादों में झाँके।
तो फिर है इतवार जिन्दगी ।।

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