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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-57

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 57 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह मेरे पसंदीदा शायर हज़रत दाग़ देहलवी की ग़ज़ल से लिया गया है|

 

"मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया"

221 2121 1221 212

मफ़ऊलु फाइलातु मुफ़ाईलु फाइलुन

(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ)
रदीफ़ :- तो गया 
काफिया :- आन (ईमान, सामान. दीवान, पहचान आदि )

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 मार्च दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 28 मार्च दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 मार्च दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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जिस ग़ज़ल से यह मिसरा लिया गया है उसे बहुत ही खूबसूरत आवाज़ से नवाज़ा है शुमोना राय बिस्वास ने
 


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय समर कबीर साहब आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

आदरनीय अशोक रक्ताले भाई जी , बढिया गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । बाक़ी सर्वोत्तम सलाह आदरनीय सौरभ भाई पहले दे ही चुके हैं , खयाल ज़रूर कीजियेगा ॥

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब सादर, गजल पसंद करने के लिए आपका दिल से आभार. जरूर ही गलतियों को दुरुस्त करने का प्रयास रहेगा. सादर.

आदरणीय रक्ताले सर अच्छी ग़ज़ल है मतला और आखिरी शेर अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई

भाई शिज्जू शकूर जी सादर, आपको मतला और अंत का शेर पसंद आया यह भी क्या कम है. मेरे प्रयास को कुछ सफलता तो मिली. बहुत-बहुत आभार आपका. सादर.

बहुत खूब अशोक जी ... मतला बहुत ही लजवाब हो गया है ... और गिरह का शेर भी नायाब है ....  

आदरणीय दिगंबर नसावा साहब सादर, उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हृदयातल से आभार. सादर.

 आदरनीय अशोक जी, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई कबूल करें 

आदरणीय मोहन बेगोवाल साहब सादर, आपकी बधाई मेरा संबल है. बहुत-बहुत आभार. सादर.

आदरणीय  अशोक रक्ताले सर ,इस सुन्दर प्रयास पर बहुत बहुत साधुवाद आपको ! सादर 

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे साहब सादर, आपको यह प्रयास पसंद आया. मुझे संतोष हुआ. सादर आभार.

आदरणीय अशोक रक्ताले जी मुशायरे में शिरकत के लिए हार्दिक आभार, शेर दर शेर राय हाज़िर है 

कहने से मेरे झूठ ही वह मान तो गया

अनजाने आया क्रोध का तूफ़ान तो गया...वाह अच्छा मतला कहा है 

 

चहरे का रंग रूप उसे याद न सही

“मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया”......कमाल का खयाल है इस गिरह में , पर पहले मिसरे में आया न जो ना कि तरह पढ़ा जा रहा है , वो सुधारा जा सकता है 

 

जख्मों पे मेरे आज नमक डाल कर भले

खातिर हमारी शख्स वो कुर्बान तो गया...वाह वाह ....बहुत खूब 

 

दौलत मिली तमाम हमें शान भी मिली

जज्बात जोश बोल के इंसान तो गया......यहाँ कहन स्पष्ट नहीं हो पा रही है 

 

धोखा न कोई घात मगर तोल मोल से  

बेवज्ह पूछताछ से ईमान तो गया...बहुत खूब 

मेरी तरफ से ढेर सारी दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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