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जनमत जिसके साथ में, उसकी होती जीत,

अहंकार जिसने किया, जनता करे न प्रीत |

जनता करे न प्रीत, जीत न उसे मिल पाए

जो भी चाहे जीत, काम जनता के आए

कह लक्ष्मण कविराय, मिटावे दिल से नफरत

जनहित की हो सोच, उसे ही मिलता जनमत |

 

दिल में भाव अभाव है,कोरा है वह चित्र 

दुख में कभी न छोड़ता,वह है सच्चा मित्र |

वह है सच्चा मित्र, श्रेय न कभी वह लेता

कपट धूर्तता बैर, पास न फटकने देता

लक्ष्मण देती साथ,ह्रदय से पत्नी इसमें

रहे भाव परमार्थ,लोभ न रखे जो दिल में ||

 

आटा गीला हो रहा, सूझे नहीं निदान,

दीन हीन इन्सान का, मन्दी में नुकसान

मन्दी में नुकसान, झेलता आया प्राणी

करे कौन सहयोग,सुने न दीन की वाणी

जिसमे डाले हाथ, उसी में होता घाटा

जिसके नहीं नसीब,मिले न उसको आटा ||

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2015 at 11:20am

कुण्डलिया छंद पर सापेक्ष प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक  आभार श्री शिज्जू शकूर जी, और

श्री कृष्ण मिश्रा जान"गोरखपुरी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2015 at 11:16am

कुण्डलिया  छंद सराहने के लिए  आपका हार्दिक आभार आदरनीय श्री गणेशजी "बागी"जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on March 2, 2015 at 8:50am

आदरणीय लडीवाला जी तीनों ही कुण्डलिया छन्द ख़ूबसूरत बने हैं. आटा गीला मुहावरे का प्रयोग मन को लुभा गया. 

//काम वह जानता के आए// के स्थान पर &काम जनता के आए& से मात्रा गणना ठीक हो सकती है.

बधाइयाँ...........

Comment by khursheed khairadi on March 2, 2015 at 8:45am

दिल में भाव अभाव है,कोरा है वह चित्र 

दुख में कभी न छोड़ता,वह है सच्चा मित्र |

वह है सच्चा मित्र, श्रेय न कभी वह लेता

कपट धूर्तता बैर, पास न फटकने देता

आदरणीय लक्ष्मण सर ,बहुत सुन्दर छंदावली प्रस्तुत की है आपने ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |

Comment by umesh katara on March 2, 2015 at 7:52am

आटा गीला हो रहा, सूझे नहीं निदान,

दीन हीन इन्सान का, मन्दी में नुकसान

मन्दी में नुकसान, झेलता आया प्राणी

करे कौन सहयोग,सुने न दीन की वाणी

जिसमे डाले हाथ, उसी में होता घाटा

जिसके नहीं नसीब,मिले न उसको आटा ||वाह  कटाक्ष करती बेहतरीन रटना 
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी बहुत बधाई

Comment by maharshi tripathi on March 2, 2015 at 12:09am

मन्दी में नुकसान, झेलता आया प्राणी

करे कौन सहयोग,सुने न दीन की वाणी

जिसमे डाले हाथ, उसी में होता घाटा

जिसके नहीं नसीब,मिले न उसको आटा ||,,,,,,,,,,,,,,,बहुत अच्छा आ. लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी हार्दिक बधाई प्रेषित है |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 1, 2015 at 10:49pm

दिल में भाव अभाव है,कोरा है वह चित्र 

दुख में कभी न छोड़ता,वह है सच्चा मित्र !

सुन्दर भाव!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2015 at 9:01pm
आदरणीय लड़ीवाला सर कुण्डलिया पर सार्थक प्रयास हुआ है सादर बधाई

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 1, 2015 at 8:57pm

//जो भी चाहे जीत, काम वह जानता के आए// ........मात्रा ?

सदैव की भाति कुंडलियों पर सार्थक प्रयास हुआ है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय लडिवाला जी.

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