For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिन कहा समझते हैं कमाल है (ग़ज़ल 'राज')

212   122   212  12

बिन कहा  समझते हैं कमाल है

क्या से क्या समझते हैं कमाल है

 

मैं मना करूँ तो हाँ जो हाँ करूँ   

तो मना समझते हैं कमाल है

 

शर्म से निगाहें जो  झुकी मेरी  

वो अदा समझते हैं कमाल है

 

कद्र मैं करूँ जज्बात की जिसे     

वो वफ़ा समझते हैं कमाल है

 

 चूड़ियाँ बजें मेरी ये आदतन  

 वो सदा समझते हैं कमाल है

 

 झाँकते वो मेरी आँखों के निहाँ           

 आईना समझते हैं कमाल है

 

सुर्ख देख आँखें नींद से मेरी

वो नशा समझते हैं कमाल है

 

प्यार मर्ज़ दिल का दर्द है फ़कत  

वो दवा समझते हैं कमाल है

 

इश्क या मुहब्बत को मैं इक फितूर  

वो ख़ुदा समझते हैं कमाल है

-------------------------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 898

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2015 at 5:33pm

राहुल दांगी जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई ,तहे दिल से शुक्रिया आपका | 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 25, 2015 at 12:26pm
इश्क या मुहब्बत को मैं इक फितूर
वो ख़ुदा समझते हैं कमाल है

ये गजल भी कमाल है आदरणीय!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 18, 2015 at 7:50pm

ग़ज़ल को फीचर करने पर तहे  दिल से से शुक्रिया आ० एडमिन जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2014 at 12:18pm

 वो आये ख़ुदा की कुदरत है कभी हम उनको कभी अपनी ग़ज़ल को देखते हैं ....:-))))

आप जैसी साहित्यिक विभूति से दाद पाकर ग़ज़ल धन्य  हुई आ० सौरभ जी , आपका तहे दिल से बहुत... बहुत.. बहुत शुक्रिया. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 17, 2014 at 11:02am

ऐसे अंदाज़ और इन अदाओं का जवाब नहीं.. बहुत खूब !
आप इन्हें शाब्दिक करते हैं, कमाल है ! .. :-))

इस कमाल की ग़ज़ल पर दिल से दाद पर दाद पर दाद कुबूल कीजिये आदरणीया राजेश कुमारीजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2014 at 9:34am

आ० विजय निकोर जी आप जैसे उत्कृष्ट रचनाधर्मी को पाठक के रूप में पाकर ग़ज़ल धन्य हुई तहे दिल से आभार आपका आदरणीय |

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:36pm

सदैव समान, आपसे एक और अच्छी गज़ल मिली। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 16, 2014 at 6:22pm

शिज्जू भैया ,आपको ग़ज़ल कमाल लगी मेरा लिखना सफल रहा तहे दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2014 at 5:52pm

आदरणीया राजेश दीदी आपकी ये ग़ज़ल वाकई कमाल है दिली दाद कुबूल फरमायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 16, 2014 at 2:11pm

नरेन्द्र सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service