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लघुकथा : वात्सल्य (गणेश जी बागी)

च्ची को मोटरसाइकिल पर बैठा छोड़ कस्टमर दुकान के अंदर आया और बोला,
"भाई साहब जरा बिटिया के लिए टॉफी और बिस्किट देना"
अभी मैं बिस्किट निकालने के लिए मुड़ा ही था कि बाहर धड़ाम की आवाज के साथ मोटरसाइकिल गिर गयी और बच्ची भी। कुछ लोगो ने बच्ची को उठाया और उसके हाथ व पैर में लगी चोटों को देखने लगे । इधर कस्टमर भी दौड़ कर बाहर भागा और जल्दी से मोटरसाईकिल उठाया तथा टूटी हुई हेड लाइट को देखते ही चटाक की आवाज ।
बच्ची के गाल पर उँगलियों की छाप व आँखों में आँसू स्पष्ट दिख रहे थे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : फेस वैल्यू

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:29pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन जी, लघुकथा पर आपका आना इसके होने को सार्थक करता है, सराहना और प्रोत्साहन हेतु हृदय से आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:27pm

लघुकथा पर आपका आशीर्वाद सदैव प्रोत्साहन देता है, बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:26pm

प्रिय सोमेश जी, सराहना युक्त आपकी प्रतिक्रिया मुग्धकारी है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 5:26pm

आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी, लघुकथा पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार.

Comment by भुवन निस्तेज on January 24, 2015 at 8:43am
लोग चीजों को बच्चों से ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं। इस सच्चाई का खूबसूरत चित्रण... बधाई स्वीकार करें आदरणीय वात्सल्य के इस रूप को सक्षमतापूर्वक प्रस्तुत करने के लिए....
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 23, 2015 at 4:47pm

आदरणीय गणेश भाईजी

गलती नहीं थी, फिर भी, दे दी उसे सज़ा।

उस प्यारी सी बेटी को, चखा दिया मज़ा॥              

बेटी होने के गम को, भुला नहीं पाता।                             

बेटा अगर होता तो, सीने से लगाता॥

लघु कथा की हार्दिक बधाई 

Comment by savitamishra on January 23, 2015 at 12:11pm

भौतिकवाद का बहुत बढ़िया उद्धारण


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:55pm

आदरणीया प्रतिभा जी, आप द्वारा दी गयी विस्तृत व समीक्षात्मक टिप्पणी पढ़ मन मुग्ध है, हृदय से आभार प्रेषित करता हूँ स्वीकार करें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:52pm

आदरणीय विनय कुमार जी, आपकी सराहना सर माथे पर, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:51pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी प्रतिक्रया सदैव नव लेखन को प्रोत्साहित कर जाया करती है, बहुत बहुत आभार.

कृपया ध्यान दे...

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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