For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,, गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२  २१२२ २१२

तुमने पुरखों की हवेली बेच दी

शान दुःख सुख की सहेली बेच दी

भूख दौलत की मिटाने के लिए

मौत को दुल्हन नवेली बेच दी

जिस्म के बाजार ऊंचे दाम थे

गाँव की राधा चमेली बेच दी

बस्ता बचपन और कागज़ छीनकर

तुमने बच्चों  की हथेली बेच दी

गाँव में दिखने लगा बाज़ार पन

प्यार सी वो गुड की भेली बेच दी

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 2:55pm

आदरणीय गुमनाम भाई , बहुत खूब सूरत ग़ज़ल कही है , सभी अश आर बढिया हुये हैं , आपको दिली बधाइयाँ ।

आदरणीय शिज्जु भाई जी से सहमत हूँ -- दुख  लिखें तो मात्रा 2  लेते हैं और विसर्ग लगा के अगर आप दुःख लिखते हैं तो आपको मात्रा 21 लेना चाहिये । सुधार कर लीजियेगा !!

Comment by Sushil Sarna on December 23, 2014 at 1:21pm

बस्ता बचपन और कागज़ छीनकर
तुमने बच्चों की हथेली बेच दी
गाँव में दिखने लगा बाज़ार पन
प्यार सी वो गुड की भेली बेच दी

बेहद खूबसूरत भावों से सजी इस ग़ज़ल की पेशकश पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:11pm

आदरणीय गुमनाम साहब .अनूठी ग़ज़ल है |सादर अभिनन्दन 

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 23, 2014 at 10:23am
वाह लाजवाब गज़ल बहुक बहुत बधाइयॉं आपको आदरनीय
Comment by Shyam Narain Verma on December 23, 2014 at 10:09am

लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 8:59am
बस्ता बचपन और कागज़ छीनकर
तुमने बच्चों की हथेली बेच दी
क्या बात है आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी , बहुत लाजवाब, बधाई , सादर ।
Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 12:44am

गाँव में दिखने लगा बाज़ार पन

प्यार सी वो गुड की भेली बेच दी

वो खोती हुई भेली और राब आप ने याद दिला दिया ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 10:29pm
आदरणीय गुमनाम जी बेहतरीन ग़ज़ल, सभी अशआर बहुत उम्दा है आपको हार्दिक बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 9:54pm

आदरणीय गुमनाम जी हर शेर लाजवाब है हर शेर के लिये दाद हाज़िर है।

मगर एक जगह शंका है, जहाँ तक मैं जानता हूँ दुःख का वज्न 21 होता है और दुख का 2 । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
5 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service