For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवेली का भोज -डॉo विजय शंकर

नई नई शादी हुयी थी उनकीं। कुछ दिन दावतों वावतों का दौर चला फिर कुछ ख़ास दोस्तों ने कहना शुरू किया , " भाभी जी क्या बनाती हैं , कैसा बनाती हैं , कभी हम भी तो देखें। " जी , भाई साहब , क्यों नहीं , जरूर ", भाभी जी का सभी को यही जवाब होता था। फिर एक दिन उन्होंने पूरा भोज बनाया, कई तरह के पकवान बनाये , डाइनिंग टेबल पर सब सजाया , चारों एंगिल से उसकी फोटो खींची और फेसबुक पर डाल दी और लिख दिया , "सभी जानने वालों के देखने के लिए "
डेढ़ सौ लाइक आ गए और बहुतों ने कमेंट भी किया , " मजा आ गया , बहुत ही स्वादिष्ट ".


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 21, 2014 at 7:38pm

आपको लघु कथा पसंद आई , कथा सार्थक हुयी , बधाई के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय विजय निकोर जी।

Comment by vijay nikore on October 21, 2014 at 2:58am

बहुत ही सुंदर लघुकथा है। हार्दिक बधाई।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 19, 2014 at 9:59pm

बधाई के लिए धन्यवाद आदरणीय महिमा श्री जी , 

Comment by MAHIMA SHREE on October 19, 2014 at 8:19pm

हा हा बढिया रहा ....हार्दिक बधाई प्रेषित है ..

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 19, 2014 at 3:04pm
प्रिय जितेन्द्र जी , आजकल फेसबुक पर यही दिखाई दे रहा है , आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 19, 2014 at 2:59pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 19, 2014 at 10:31am

गजब का प्रहार किया है आपने. बिलकुल स्वच्छता अभियान में झाड़ू के साथ फोटो निकलवाने जैसा.. :)) . बधाई स्वीकारें आदरणीय डा.विजय शंकर जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 10:37pm

फेस बुक पेज पर खुशबू आ रही होगी जिसे सूंघ कर कमेन्ट किया होगा - " मजा आ गया , बहुत ही स्वादिष्ट ". हां हां आहा हां-----

सुंदर हास्य का पुट लिए लघु कथा वाह ! बधाई डॉ विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 18, 2014 at 10:14am
आदरणीय सोमेश कुमार जी रचना की स्वीकृति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by somesh kumar on October 17, 2014 at 11:13pm

नए समय की नई परिपाटी पर सटीक प्रहार |उत्तम रचना |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
34 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service