For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामाजिक सुरक्षा को तरसे

एकल परिवारों में जो पले,

आर्थिक सुरक्षा और -

स्नेह भाव मिले

संयुक्त परिवार की ही

छाया तले |

घर परिवार में

हर सदस्य का सीर  

बुजुर्ग भी होते भागीदार,

बच्चो की परवरिश हो,

संस्कार या व्यवहार |

 

अभिभावक व माता पिता

जताकर समय का अभाव

नहीं बने

अपराध बोध के शिकार,

संयुक्त परिवार तभी

रहे और चले |

प्रतिस्पर्था से भरी

सुरसा सामान दौड़ती

भागमभाग जिन्दगी,

अवसाद भरी और

तनाव के भार से लदी

समयाभाव जताती

बेलगाम जिन्दगी |

जड़ों की ओर लोटने को

मजबूर आग्रही नयी पीढ़ी,

पाने को पारिवारिक स्नहे

और सुरक्षा की सौगात,

तभी संभव

जब हो ह्रदय विशाल,

बड़े भी समझे

और देवे मान

छोटों की भावनाओ

का हो भान |

 

छोड़े अहम का भाव

रिश्ते बने बेहतर

तभी सौहार्द बढे

जीवन तत्व है यही

जीवन का सार,

तभी बनेगा स्वर्ग सा

यह सुन्दर संसार |

Views: 433

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2014 at 4:31pm

हार्दिक आभार आपका आद. सविता मिश्रा जी 

Comment by savitamishra on July 25, 2014 at 10:08pm

अति सुन्दर _/\_

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 7:23pm

रचना को संदेशात्मक कह कर मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 6:19pm

रचना में निहित कथ्य का अनुमोदन करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्री संतलाल जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 2:43pm

छोड़े अहम का भाव

रिश्ते बने बेहतर

तभी सौहार्द बढे

जीवन तत्व है यही

जीवन का सार,

तभी बनेगा स्वर्ग सा

यह सुन्दर संसार |  -- बहुत सुन्दर , आवश्यक संदेश ॥ आपको बधाइयाँ ॥

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 10:06am

रचना की सार्थकता जताने के लिए आपका हार्दिक आभार आद श्री गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 10:04am

रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री जितेन्द्र गीत जी 

Comment by Santlal Karun on July 23, 2014 at 4:01pm

आदरणीय लड़ीवाला जी,

बड़ी सहज, स्वस्थ, हृदयगत उद्भावना की कविता, अति सुन्दर; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 23, 2014 at 11:33am

लडीवाला जी

संयुक्त परिवार के समर्थन में लिखी इस कविता का  संदेश लोगो तक पहुंचे यही कामना है i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2014 at 11:12pm

एक सुंदर सन्देश देती रचना, बहुत-२ बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
5 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service