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सामाजिक सुरक्षा को तरसे

एकल परिवारों में जो पले,

आर्थिक सुरक्षा और -

स्नेह भाव मिले

संयुक्त परिवार की ही

छाया तले |

घर परिवार में

हर सदस्य का सीर  

बुजुर्ग भी होते भागीदार,

बच्चो की परवरिश हो,

संस्कार या व्यवहार |

 

अभिभावक व माता पिता

जताकर समय का अभाव

नहीं बने

अपराध बोध के शिकार,

संयुक्त परिवार तभी

रहे और चले |

प्रतिस्पर्था से भरी

सुरसा सामान दौड़ती

भागमभाग जिन्दगी,

अवसाद भरी और

तनाव के भार से लदी

समयाभाव जताती

बेलगाम जिन्दगी |

जड़ों की ओर लोटने को

मजबूर आग्रही नयी पीढ़ी,

पाने को पारिवारिक स्नहे

और सुरक्षा की सौगात,

तभी संभव

जब हो ह्रदय विशाल,

बड़े भी समझे

और देवे मान

छोटों की भावनाओ

का हो भान |

 

छोड़े अहम का भाव

रिश्ते बने बेहतर

तभी सौहार्द बढे

जीवन तत्व है यही

जीवन का सार,

तभी बनेगा स्वर्ग सा

यह सुन्दर संसार |

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2014 at 4:31pm

हार्दिक आभार आपका आद. सविता मिश्रा जी 

Comment by savitamishra on July 25, 2014 at 10:08pm

अति सुन्दर _/\_

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 7:23pm

रचना को संदेशात्मक कह कर मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 6:19pm

रचना में निहित कथ्य का अनुमोदन करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्री संतलाल जी 


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Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 2:43pm

छोड़े अहम का भाव

रिश्ते बने बेहतर

तभी सौहार्द बढे

जीवन तत्व है यही

जीवन का सार,

तभी बनेगा स्वर्ग सा

यह सुन्दर संसार |  -- बहुत सुन्दर , आवश्यक संदेश ॥ आपको बधाइयाँ ॥

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 10:06am

रचना की सार्थकता जताने के लिए आपका हार्दिक आभार आद श्री गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 10:04am

रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री जितेन्द्र गीत जी 

Comment by Santlal Karun on July 23, 2014 at 4:01pm

आदरणीय लड़ीवाला जी,

बड़ी सहज, स्वस्थ, हृदयगत उद्भावना की कविता, अति सुन्दर; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 23, 2014 at 11:33am

लडीवाला जी

संयुक्त परिवार के समर्थन में लिखी इस कविता का  संदेश लोगो तक पहुंचे यही कामना है i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2014 at 11:12pm

एक सुंदर सन्देश देती रचना, बहुत-२ बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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