For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पंछी उदास हैं/नवगीत/कल्पना रामानी

गाँवों के पंछी उदास हैं

देख-देख सन्नाटा भारी।

 

जब से नई हवा ने अपना,

रुख मोड़ा शहरों की ओर।

बंद किवाड़ों से टकराकर,

वापस जाती है हर भोर।

 

नहीं बुलाते चुग्गा लेकर,

अब उनको मुंडेर, अटारी।

 

हर आँगन के हरे पेड़ पर,

पतझड़ बैठा डेरा डाल।

भीत हो रहा तुलसी चौरा,

देख सन्निकट अपना काल।

 

बदल रहा है अब तो हर घर,

वृद्धाश्रम में बारी-बारी।

 

बतियाते दिन मूक खड़े हैं।

फीकी हुई सुरमई शाम।

घूम-घूम कर ऋतु बसंत की,

हो निराश जाती निज धाम।

 

गाँवों के सुख राख़ कर गई,

शहरों की जगमग चिंगारी। 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on April 25, 2014 at 10:42pm

बहुत ही सुंदर मार्मिक नवगीत  .. बहुत -२ हार्दिक बधाई आ. कल्पना दी सादर

Comment by vijay nikore on April 25, 2014 at 11:38am

सरल शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई आदरणीया।

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 11:02pm

आदरणीय गिरिराज जी, सुंदर टिप्पणी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 11:01pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, रचना की सराहना करके प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका।

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 11:00pm

आदरणीय रक्ताले जी, रचना को स्नेह प्रदान करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 10:59pm

आदरणीय जितेंद्र जी, प्रशंसात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 10:58pm

आदरणीय प्रदीप जी, प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार।

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 10:57pm

आदरणीया अलका जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2014 at 10:56pm

आदरणीया राजेश जी, रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 24, 2014 at 6:53pm

आदरणीया कल्पना जी , बदलते- बिगडते प्राकृतिक परिवेश को बहुत सुन्दरता से नव गीत मे ढाला है आपने , बहुत बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service