For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रकृति का नर्तन

प्रकृति का नर्तन
(उत्तराखण्ड आपदा के संदर्भ में)

हमने भी देखा है,
माथे पर स्वर्ण-टीका लगाये
संध्या को,
शैल-शिखरों पर अभिसार करते हुए.

देवदार कुछ लजीले, कुछ शरमाए
चीड़ चंचल उत्पात करे,
मौन इशारे करते कुछ बहके -
देखा है रात ने,
भँवरे को कमल संग रमन करते हुए.

प्रातः मधुरस लिये भँवरा
गुँजन करता चमन चमन,
इस कान में कुछ स्वर
उस सुमन को देता कुछ मकरंद.
सौगात बाँटता वन उपवन
नवगीत गाता , कली खिलती -
पर, ठहरता ना कभी एक कुँज पर.

प्रकृति का दूत,
वसंत का अनुरागी,
होता मधुप हर पुष्प का अभिलाषी.

असावरी गाती कादम्बिनी,
भर आँचल मेह बरसाती,
हवा लेप लगाती उबटन चंदन की,
अरुणिमा पग पर सजाती महावर
सद्य:स्नाता वसुंधरा नव श्रृंगार कर -
मंद मंद मुस्काती आती मचलती
तब जड़ और चेतन हो उठते जीवंत.

नभचर जलचर क्रीड़ा करते नहीं अघाते
जीवन चक्र चलता रहता अपने क्रम में.
दिन ढलता फिर आती सांझ की बेला,
आलिंगन मनुहार करती निशा की,
कर जाती विश्राम जग की आँखों में.

पर धरती के भाग्य में इतना सुख कहाँ?
साँस लेने को तरसती, कभी
अपने दुःख से उफनती कहीं,
लिख दी विधाता ने छः रंगों से
ऋतुओं में मानव की नियति -
फेंक दी लेखनी सागर तल में
कर के शब्द भाषित नक्षत्रों में.

हवा पढ़ लेती गुप्त भाषाएँ,
सिखलाती रहस्य वन जीवों को -
सीखता इंसान भी
पर उसमें इतना सब्र कहाँ?
विज्ञान की तलवार खींच,
चुनौती देता रहता विधि को.

किसकी त्रुटि थी जो इतनी हुई,
प्रचंड कालिका,
किसने आह्वान किया इस तड़ित का,
शैलपुत्री और गंगा का.
तरना था या तारना था क्या पता!

जन्म कहाँ और मरण कहाँ?
नियति की विनाश क्रीड़ा में,
दो गज कफ़न भी नहीं मिला
उस कालव्यापी निशा में.

स्थिरप्रज्ञ हिमालय ने देखा प्रकृति नर्तन
और, प्रकृति के ही आँसू में

भागीरथ के संतान को तरते हुए.
(मौलिक व अप्रकाशित रचना)

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on July 8, 2013 at 11:48am

आदरणीय कुंती जी बहुत हि मार्मिक चित्रण आपदा का और एक चुनौती 

अद्भुत शब्द बधाई स्वीकार करें 

Comment by MAHIMA SHREE on July 7, 2013 at 3:36pm

अदभुत .. शब्दों का अवगुंठन और भाव का प्रवाह ...बहा ले गया ..आदरणीया .. हार्दिक बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 6, 2013 at 6:49pm

किसकी त्रुटि थी जो इतनी हुई,
प्रचंड कालिका,
किसने आह्वान किया इस तड़ित का,
शैलपुत्री और गंगा का. 
तरना था या तारना था क्या पता!

जन्म कहाँ और मरण कहाँ?
नियति की विनाश क्रीड़ा में, 
दो गज कफ़न भी नहीं मिला 
उस कालव्यापी निशा में.--------ये तो विधाता ही जाने | पर एक बात अवश्य है, प्रकृति से खिलवाड़ का ही परिणाम है यह 

सुन्दर भाव रचना के लिए बधाई आदरणीया कुंती मुखर्जी | सादर 

Comment by बसंत नेमा on July 6, 2013 at 6:21pm

किसकी त्रुटि थी जो इतनी हुई,
प्रचंड कालिका,
किसने आह्वान किया इस तड़ित का,
शैलपुत्री और गंगा का.
तरना था या तारना था क्या पता!

जन्म कहाँ और मरण कहाँ?
नियति की विनाश क्रीड़ा में,
दो गज कफ़न भी नहीं मिला
उस कालव्यापी निशा में.

आदरणीया कुंती जी बहुत सही फरमाया आप ने ये हमारी ही त्रुटि है जो आज हमारे सामने ये आपदा खडी  है ..... बहुत सुन्दर भाव बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...  बधाई शुभकामनाये .........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service