For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई----ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई

त्यों ही फिर दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई

शेर में ज़िक्र है कोचिंग व घने कुहरे का

चाहता हूँ किसी रिक्शे पे चले मन कोई

मैंने कुछ शेर केमिस्ट्री के कहे हैं, जिससे

मेरे महबूब के दिल में हो रिएक्शन कोई

किस तरह मैंने सजाया है मेरे दिलबर को

आके देखे मेरी ग़ज़लों का ये गुलशन कोई

शायरी गीत सभी कुछ जो लिखा है मैंने

जान तेरा है असर मेरा नहीं फ़न कोई

मौलिक अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 16, 2021 at 10:54pm

आदरणीय लक्ष्मण सर, सादर अभिवादन सहित आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 16, 2021 at 12:58pm

आ. भाई पंकज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 16, 2021 at 12:02am

क्षमा निवेदन के साथ.......बहुत दिनों बाद ओबीओ पर हूँ, नए लोगों को ध्यान में रखलन के कारण गलती हुई।

क्षमा करें

Comment by Samar kabeer on January 15, 2021 at 8:54pm

//आदरणीय समर कबीर बाउजी//

आप मेरा नाम नहीं लेना चाहते थे,तभी तो 'बाउजी' कहना शुरू'अ किया था, आज नाम के साथ बाउजी देख कर आश्चर्य चकित हूँ ।

'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई'

'ज़ह्न" शब्द की मात्रा 21होती है, रख सकते हैं ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 15, 2021 at 8:43pm

आदरणीय समर कबीर बाउजी...प्रणाम

मत्ले के उला मिसरे में मैं ज़हन शब्द याद शब्द की जगह रखना चाहता हूँ, लेकिन मात्रा को लेकर सन्देह में हूँ सो याद शब्द 2 बार इस्तेमाल हुआ है।

आखिरी शेर के लिए आपका सुझाव बहुत उचित है।

सादर

Comment by Samar kabeer on January 15, 2021 at 2:57pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई

त्यों ही फिर दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई'

मतले के दोनों मिसरों में 'याद' शब्द खटकता है, इसे दुरुस्त करने का प्रयास करें ।

'शायरी गीत सभी कुछ जो लिखा है मैंने'

इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा:-

'शाइरी गीत ग़ज़ल जो भी लिखा है मैंने'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
17 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
17 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
17 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service