For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वोटर पापड़ बेल रहे हैं
और मसीहे खेल रहे हैं।1

उम्मीदें जिनकी मुरझाईं
उट्ठक - बैठक पेल रहे हैं।2

मत देने पर स्याही सूखी,
दाग लगे, सब झेल रहे हैं।3

लड़ते - मरते लोग - लुगाई
नेता भरसक रेल रहे हैं।4

'अक्ल बड़ी कह भैंस लजाई,
अंधे गाड़ी ठेल रहे हैं।5

जिसकी पूंछ मिले,पकड़ें सब
बैतरणी को हेल रहे हैं।6

पाठ पढ़ाते चलते हैं वे
जो जीवन भर फेल रहे हैं।7

कुर्सी खातिर मिल जाते हैं
जो हरदम बेमेल रहे हैं।8

ख़बरें बिकती खुल्लमखुल्ला
जैसे भजिए भेल रहे हैं।9
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 21, 2020 at 3:01pm

आपका शुक्रिया मोहतरम अमीर जी।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 20, 2020 at 7:42pm

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी आदाब, वास्तविकता पर आधारित शानदार व्यंग्यात्मक ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2020 at 7:13pm

आभार आ.समर जी, आदाब। "है  गजल इक  सिलसिला  चलती रहेगी देर तक।:

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2020 at 7:11pm

आपका आभार आ. लक्ष्मण भाई। 

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2020 at 7:11pm

आभार आशीष जी। 

Comment by Samar kabeer on December 21, 2019 at 5:35pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 19, 2019 at 7:50am

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन समसामयिक गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by आशीष यादव on December 15, 2019 at 5:52pm

बहुत सटीक सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
9 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
11 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
15 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
21 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
23 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
27 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
36 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
37 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
37 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
38 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
53 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service