For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोग घर के हों या कि बाहर के...(ग़ज़ल : सालिक गणवीर)

(2122 1212 22/122)

लोग घर के हों या कि बाहर के
प्यार करिएगा उनसे जी भर के

जाने क्या कह दिया है क़तरे ने
हौसले पस्त हैं समंदर के

जिस्म पर जब कोई निशाँ ही नहीं
कौन देखेगा ज़ख़्म अंदर के

दोस्ती उन से कर ली दरिया ने
जो थे दुश्मन कभी समंदर के

एक शीशे से ख़ौफ़ खाते हैं
लोग जो लग रहे थे पत्थर के

एक बस माँ को बाँट पाए नहीं
घर के टुकड़े हुए बराबर के

गरचे हर घर की है कहानी ये
सिर्फ़ चर्चे हुए मिरे घर के

यूँ तो पाबंदियाँ है उड़ने पर
पर निकल आए हैं कबूतर के

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on August 11, 2020 at 9:41am

मुहतरमा डिंपल शर्मा जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

Comment by Dimple Sharma on August 8, 2020 at 12:19pm

आदरणीय हर शेर कमाल है समझ नहीं आ रहा किसे ज्यादा दाद दूं, बस मतला कमजोर लग रहा है , इस ग़ज़ल ने दिल ले लिया वाह बहुत उम्दा आदरणीय।

Comment by Dimple Sharma on August 8, 2020 at 12:18pm

आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते, वाह बहुत ख़ूब,इस खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by सालिक गणवीर on August 5, 2020 at 11:29am

भाई बृजेश कुमार'ब्रज'
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2020 at 10:02pm

बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई ज़नाब सालिक जी...

Comment by सालिक गणवीर on August 4, 2020 at 6:28pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

Comment by सालिक गणवीर on August 4, 2020 at 6:27pm

मुहतरमा 'महक' जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 4, 2020 at 5:53pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । इस लाजवाब गजल के लिए ढेरों बधाईयाँ ।

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 3, 2020 at 9:21pm
आदरणीय सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार।
बहुत ही भावपूर्ण व सुन्दर ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद।
Comment by सालिक गणवीर on August 3, 2020 at 2:55pm

भाई सुरेश नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
3 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
दिनेश कुमार posted blog posts
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service