For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति - लघुकथा -

राजनीति - लघुकथा -

आज शहर में देश के जाने माने और सबसे बड़े नेता जी की चुनावी रैली थी। समूचा शहर उमड़ पड़ा था। हर तबके और हर समुदाय के लोग मौजूद थे। पिछले चुनाव की तरह इस बार भी लोगों ने नेता जी से बड़ी आशायें लगा रखी थीं।

एक तो पहले ही नेताजी तीन घंटे देरी से आये। धूप और गर्मी से लोग परेशान थे। मगर फिर भी सब डटे हुए थे क्योंकि अधिकाँश लोग तो पैसे लेकर सभा में आये थे। बचे हुए लोग भविष्य में कुछ मिलने की आशायें लगाये थे। नेताजी ताबड़तोड़ डेढ़ घंटे अपना चिर परिचित  भाषण देकर चले गये।

जिसका विश्लेषण सभा स्थल पर संध्या कालीन भ्रमण  करते हुये एक परिवार ने कुछ इस प्रकार किया।

"बापू, ये नेताजी तो बहुत उस्ताद निकले। इस बार कोई  नयी घोषणायें नहीं की।"

"बेटा, अभी पिछले चुनाव की सभी घोषणायें ज्यों की त्यों पड़ी हैं।"

"ये अपने विरोधियों को इतना गरियाते क्यों हैं?"

"जब किसी के पास अपने कार्यों का बखान करने को कुछ नहीं होता तो ऐसे ही तरीके प्रयोग करते  हैं।"

"तो फिर ऐसे लोग जीत कैसे जाते हैं?"

"ये लोग साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाते हैं।"

"वह क्या होती है?"

"इस नीति के अंतर्गत ये लोग सब तरह के हथकंडे अपनाते  हैं। कुछ तो इनके अंध भक्त होते हैं। शेष को ये लोग धन और अन्य वस्तुओं का लालच देकर खरीदते हैं। जो इस लालच में नहीं आते, उनको धमकी देते हैं। जो इस पर भी अडिग रहते हैं, उन्हें हमेशा के लिये शाँत कर देते हैं।"

"इसका मतलब ये लोग तो बहुत ही खतरनाक हैं।"

"अब तुम सही समझे।"

"बापू, आप अभी अपने समाज के अध्यक्ष हो।अपनी सोसाइटी के सेक्रेटरी हो।कालेज के दिनों में छात्र संघ के महा सचिव रहे थे। आप भी एक बार देश की राजनीति में भाग्य आजमाओ ना?"

"नहीं बेटा, अब यह शरीफ़ लोगों के वश का काम नहीं है।"

मौलिक , अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2019 at 7:38pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी। आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2019 at 7:37pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 16, 2019 at 6:01pm

मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब, संदेश देती सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

Comment by Samar kabeer on April 16, 2019 at 2:46pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2019 at 11:55am

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2019 at 11:54am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आपका सुझाव विचारणीय है।प्रयास करूंगा।

Comment by vijay nikore on April 16, 2019 at 11:13am

लघु कथा में कटाक्ष बहुत ही अच्छा बना है। बधाई, आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 14, 2019 at 10:14pm

आदाब।.बढ़िया समसामायिक प्रवाहमय कटाक्षपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। मुझे ऐसा लगा कि आरंभिक दोनों अनुच्छेदों को कुछ कम शब्दों में कहा जा सकता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service