For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए (३० )


जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए 
और सब्र बार बार आजमाएँ किसलिए 
**
तोड़ता सुकून-ओ-चैन की हदें अगर कोई 
लोग हिन्द देश के सितम उठाएँ किसलिए 
**
क़त्ल जो करे यक़ीन का हबीब भी अगर 
फिर यक़ीँ उसी पे आज हम दिखाएँ किसलिए 
**
बार बार हो चुके ग़लत वतन के फ़ैसले 
फिर अदू की चाल में हम आज आएँ किसलिए 
**
माँगकर सुबूत शर्मसार हो रहे वही 
हिन्द पर क़ज़ा की बिजलियाँ गिराएँ किसलिए 
**
हल नहीं निकाल जो सके हैं काश्मीर का 
दास्ताँ उन्हें ग़मों की हम सुनाएँ किसलिए
**
फूल फल न छाँव दे कोई जो शाख पेड़ की 
खोखली हुई अगर उसे बचाएँ किसलिए 
**
चल रहे हैं दाँव पेच चन्द वोट के लिए 
साख दाँव पर वतन की वो लगाएँ किसलिए 
**
ख़त्म अब करें अदू से राबिते सभी 'तुरंत '
दूध साँप को जनाब हम पिलाएँ किसलिए 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 11:19pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी ,

आपके स्नेहसिक्त सराहना से सराबोर उद्गारों के लिए ह्रदय तल से आभार एवम सादर नमन |

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 21, 2019 at 5:12pm

आदरणीय गहलोत साहब बहुत ही बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाई

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 5:08pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan साहेब आदाब | आपकी   पुरखुलूस  हौसला  अफ़ज़ाई                का  दिल  से  शुक्रग़ुज़ार  हूँ . नवाज़िश जनाब | मेरा नाम गिरधारी सिंह है गिरधारी लाल नहीं | सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 5:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहेब आदाब | 

आपकी   पुरखुलूस  हौसला  अफ़ज़ाई                  का  दिल  से  शुक्रग़ुज़ार  हूँ . नवाज़िश जनाब | मेरा नाम गिरधारी सिंह है गिरधारी लाल नहीं | सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 5:03pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब | 

आपकी क़ीमती दाद मेरे लिए वाइस-ए-फ़ख्र है मोहतरम   | नवाज़िश-ओ-करम का दिल से शुक्रिया |

Comment by narendrasinh chauhan on February 21, 2019 at 4:41pm

आ. गिरधारी लाल जी, सुन्दर रचना के लिए  हार्दिक बधाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 21, 2019 at 4:38pm

आ. गिरधारी लाल जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on February 21, 2019 at 4:05pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
14 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service