For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जश्न सा तुझको मनाऊँ (एक गीत )

गुनगुनी सी आहटों पर

खोल कर मन के झरोखे

रेशमी कुछ सिलवटों पर सो चुके सपने जगाऊँ..

इक सुबह ऐसी खिले जब जश्न सा तुझको मनाऊँ..

साँझ की दीवानगी से कुछ महकते पल चुराकर

गुनगुनाती इक सुबह की जेब में रख दूँ छिपाकर

थाम कर जाते पलों का हाथ लिख दूँ इक कहानी

उस कहानी में लिखूँ बस साथ तेरा सब मिटाकर

हर छुपे एहसास को फिर

रंग में तेरे भिगाकर

काश ऐसा हो कभी मैं नाम तेरा गुनगुनाऊँ...

इक सुबह ऐसी खिले जब जश्न सा तुझको मनाऊँ..

मौन का संदल छिड़कती साँस थोड़ी चुलबुली हो

नेह के अनुवाद में हर ओट जैसे अधखुली हो

ले सुनहरा इत्र चारों ओर फैले रौशनी फिर

हर छुअन में गीत हो संगीत हो लय सी घुली हो

एक दूजे को सुनें

सुनते रहें बस मुस्कुराकर

मन कहे जो बात, वो हर बात मैं तुझको बताऊँ...

इक सुबह ऐसी खिले जब जश्न सा तुझको मनाऊँ..

कुछ पलों की रौशनी से ज़िंदगी में अर्थ भरकर

चल पड़ूँ संतृप्ति का सागर लिए पूरा निखर कर

मंत्र बन गूँजे हमेशा तू हृदय की वादियों में

और मैं अलमस्त झूमूँ राह में जब-तब ठहर कर

मंदिरों की चौखटों से

खोल गिरहें चाहना की

मन्नतों की पूर्णता पर दीप नत हो कर जलाऊँ...

इक सुबह ऐसी खिले जब जश्न सा तुझको मनाऊँ..

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 30, 2018 at 9:28am

बेहतरीन सृजन। बेहतरीन भावाव्यक्ति। हार्दिक बधाइयां। नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं आदरणीया डॉ. प्राची सिंह साहिबा।

Comment by pratibha pande on December 29, 2018 at 8:26am

बहुत खूबसूरत रचना हर एक शब्द तराशा हुआ। हार्दिक बधाई आपको

Comment by PHOOL SINGH on December 28, 2018 at 2:28pm

एक अच्छा बन पड़ा गीत, बधाई स्वीकारें

Comment by Samar kabeer on December 27, 2018 at 7:08pm

मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह जी आदाब,बहुत समय बाद आपकी आमद हुई है,बहुत सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर ढेर सारी बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 27, 2018 at 3:04am

सादर प्रणाम आदरणीय सौरभ जी 

कई माह बाद ही कोई गीत लिखना हुआ था, जिसे लिखते ही अपने ओबीओ परिवार के समक्ष प्रस्तुत किया.
गीत तक इतने बारीक और सहर्ष स्वीकार्य सुझावों के साथ आपका आना मेरे लिए आशीर्वाद   है.

आप जिस तन्मयता से गीतों की अंतर्धारा को महसूस करते हुए पढ़ते हैं और फिर अपनी प्रतिक्रिया में प्रस्तुति का पूरा सारांश रख  देेते हैैं, वह करता है , नत करता है 


आपके बहुमूल्य सुझावों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 26, 2018 at 11:32pm

एक अरसे बाद आपकी कोई सुगढ़ रचना वह भी एक मनोहारी गीत को पटल पर देख रहा हूँ, आदरणीया प्राची जी. हो सकता है, इधर और भी रचनाएँ प्रस्तुत हुई हों और मैं ही अनुपस्थित रहा उन्हें देख न पाया होऊँ, किन्तु इस गीत को आज देखा जाना मुझ जैसे पाठकों के लिए तोषदायी उपलब्धि है. 

गीत की अंतर्धारा वस्तुतः स्वीकार्य-श्रेष्ठ के प्रति पूर्ण समर्पण के पश्चात उपजी आत्मीय विह्वलता का भावमय बहाव है. जो छोह के उत्फुल्ल क्षणों को अत्यंत निजता के साथ शाब्दिक करती हुई अपने पाठकों को अपने साथ बहा लेजाने का सामर्थ्य रखती है. ऐसा होना किसी गीत की सफलता का द्योतक है. निश्चय ही, अंतिम बंद श्रेष्ठ बन पड़ा है. 

वैसे संप्रेषणीयता का संदर्भ लूँ तो मैं वाक्यों की बुनावट को लेकर तनिक और समय देता. 

यथा,

गुनगुनी-सी 

रेशमी कुछ सिलवटों पर सो रहे  सपने जगाऊँ..

थाम कर जाते पलों के  हाथ लिख दूँ इक कहानी

उस कहानी में लिखूँ बस नाम  तेरा सब मिटाकर 

रंग में तेरे भिगो  कर 

काश ऐसा हो कभी मैं साथ अपना  गुनगुनाऊँ...

मंदिरों की चौखटों पर  

ऐसा नहीं कि, ऐसी बुनावटों का कोई आग्रह है. किन्तु, इनका होना भाव-अर्थ को और गहरा करेगा, ऐसा मुझे प्रतीत हो रहा है. 

उच्च भावबोध की परिणति, इस गीत के होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ. 

सादर

Comment by Md. Anis arman on December 26, 2018 at 11:53am

इस गीत के लिए बहुत बहुत बधाई, डॉ. प्राची सिंह  जी बहुत सुंदर रचना है। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service