For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानव छंद में प्रयास :

मानव छंद में प्रयास :

मेरे मन को जान गयी ।
फिर भी वो अनजान भयी।।
शीत रैन में पवन चले।

प्रेम अगन में बदन जले।।

..................................

देह श्वास की दासी है।
अंतर्घट तक प्यासी है।।
मौत एक सच्चाई है।

जीवन तो अनुयायी है ।।

................................

रैना तुम सँग बीत गई।
मैं समझी मैं जीत गई।।
अब अधरों की बारी है।
तृप्ति तृषा से हारी है।।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 26, 2018 at 6:10pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी सृजन एवं प्रयास के दिल से सराहना एवं सुझाव का दिल से आभार। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः पोस्ट करता हूँ। तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on October 26, 2018 at 6:10pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on October 26, 2018 at 6:09pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .. सर प्रयास को मान देने का दिल से आभार।

Comment by रामबली गुप्ता on October 26, 2018 at 5:00pm

आदरणीय सुशील भाई जी। सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें।

तृतीय छंद में कुछ गुंजाईश है। प्रवाह बाधित हो रहा है। रैन को रैना और संग को सँग कर लीजिए। इसी प्रकार 'तृषा से तृप्ति हारी है' के स्थान पर 'तृप्ति तृषा से हारी है' कर लीजिए। 

बाकी सब शुभ शुभ।सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 2:22am

आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on October 24, 2018 at 3:59pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
11 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
11 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
17 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
21 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
26 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
30 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
48 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
51 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
56 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service