For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....दिल जला के रौशनी होती नहीं है-बृजेश कुमार 'ब्रज'

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन

दर्द अपना यूँ सर-ए-बाज़ार कर के
क्या मिलेगा वक़्त से तक़रार कर के

कुछ नहीं हासिल,समझते क्यों नहीं हो
गम उठाना आह भरना प्यार कर के

सामने उस मोड़ पर कुछ अनमना सा
शख़्स इक बैठा है सब न्योछार कर के

बन्दगी उल्फत है मैं था इस गुमां में
वो नहीं आया अना को पार कर के

दिल जला के रौशनी होती नहीं है
ये भी 'ब्रज' ने देखा है सौ बार कर के


(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 967

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 2, 2018 at 12:31pm

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय राज साहब...दूसरे शेर में 'गम उठा के आह भर के प्यार कर के' इसमें के शब्द की पुनरावृत्ति से मजा नहीं आएगा...हालाँकि तीसरे शेर में आदरणीय समर जी की बात का संज्ञान है मुझे।उसको यूँ करता हूँ "शख़्स इक बैठा है सब न्यौछार कर के" बताइयेगा...

Comment by राज़ नवादवी on July 2, 2018 at 6:19am

वैसे जनाब समर कबीर साहब की बात सही लगती है क्योंकि प्रयोग में हम कहते हैं कि हम (मसलन कुछ भी) हार के बैठे हैं, हार कर के बैठे हैं, ऐसा नहीं. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on July 2, 2018 at 12:04am

ब्रिजेश जी बस यूँ ही:

सामने उस मोड़ पर कुछ अनमना सा 
शख़्स इक बैठा है सबकुछ हार कर के

इसे ऐसे किया जा सकता है क्या?

अपनी बर्बादी के सूने खंडहरों में 
शख़्स इक बैठा है सबकुछ हार कर के

सादर 

Comment by राज़ नवादवी on July 1, 2018 at 11:55pm

आदरणीय ब्रज जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के दिल मुबारकबाद. इस शेर को 

कुछ नहीं हासिल,समझते क्यों नहीं हो 
गम उठाना आह भरना प्यार कर के

यूँ कर लें तो?

कुछ नहीं हासिल,समझते क्यों नहीं हो 
गम उठाके, आह भरके, प्यार कर के

सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 1, 2018 at 8:38am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय डा. साहब..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 1, 2018 at 8:37am
ग़ज़ल पे शिरक़त के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया रक्षिता सिंह जी..
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 29, 2018 at 3:24pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय भाई ब्रिजेश जी
Comment by रक्षिता सिंह on June 27, 2018 at 11:46pm

आदरणीय ब्रजेश जी नमस्कार
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल....मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2018 at 11:43am

हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2018 at 11:42am

स्वागत संग आभार आदरणीय महेंद्र जी सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service