For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिखा बेहतर नहीं जाता- गजल

1222  1222 1222 1222

 

शिकायत है बहुत खुद से कि मैं क्यों कर नहीं जाता  

मुझे जिससे मुहब्बत है, उसी के घर नहीं जाता

 

अगर मिलना है’ उससे तो, तुम्हें जाना पड़ेगा खुद

चला करता है दरिया ही, कहीं सागर नहीं जाता

 

मधुर यादों के उपवन में, मैं खोया इस तरह से हूँ,  

कि गम का एक भी झौंका, मुझे छूकर नहीं जाता  

 

कहाँ कैसे मिलेगा वो, समझता ही नहीं ये मन

भटकता खूब है बाहर, मगर भीतर नहीं जाता

 

कलम अपनी उठा कर हम, कभी कुछ भी लिखें लेकिन          

न हो यदि दर्द दिल में तो, लिखा बेहतर नहीं जाता

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 3:20pm

हृदय से आभार आदरणीया Neelam Upadhyaya जी आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 1:34pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 1:33pm

आदरणीया Rakshita Singh जी आपका दिल से शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 1:32pm

 आदरणीय  Shyam Narain Verma जी आपका दिल से शुक्रिया

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 1:21pm

आदरणीय Mahendra Kumar जी आपका दिल से शुक्रिया , आपका सुझाव अनुकरणीय है, सुधार करता हूँ. 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2018 at 1:17pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 12, 2018 at 11:00am

आदरणीय बसंत कुमार जी, बहुत ही बेहतरीन गजल। मुबारकबाद कुबूल करें ।

"चला करता है दरिया ही, कहीं सागर नहीं जाता"

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2018 at 5:50am

आ. भाई बसंत जी, बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई स्वीकारें । 

Comment by रक्षिता सिंह on June 12, 2018 at 12:10am

आदरणीय बसंत जी नमस्कार,

यूँ  तो पूरी गज़ल ही बेहतरीन है ...परन्तु गज़ल की आखरी पंक्ति बेहद आकर्षक है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें ...

Comment by Mahendra Kumar on June 11, 2018 at 7:26pm

बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय बसंत जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.

//न हो यदि दर्द दिल में तो, लिखा बेहतर नहीं जाता// क्या यह पंक्ति इस तरह हो सकती है : "नहीं जो दर्द हो दिल में, लिखा बेहतर नहीं जाता" देख लीजिएगा.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service