For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रसंग था 'दशा और 'बोध ' किसे कहते हैं ? जिज्ञासु और दार्शनिक के बीच इस विषय को लेकर काफी वाद-विवाद चला । जिज्ञासु दार्शनिक के तर्कों से संतुष्ट नहीं हो रहा था । अंत में दार्शनिक ने जो सांकेतिक जवाब दिया उसे सुनकर जिज्ञासु अभिभूत हो गया । दार्शनिक ने उंगली से चींटियों के जाते हुए झुण्ड की ओर इशारा कर दिया ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on April 26, 2018 at 7:20am

 हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by vijay nikore on April 26, 2018 at 2:10am

इतनी "लघु" लघु कथा और इतना बड़ा संदेश ! आपकी "सबसे छोटी गज़ल की याद आ गई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी। दिल से बधाई।

Comment by Mohammed Arif on April 25, 2018 at 4:48pm

बहुत -बहुत हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 25, 2018 at 10:55am

आदरणीय आरिफ मुहम्मद जी, नमस्कार । बहुत ही बढ़िया लघुकथा की प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on April 25, 2018 at 6:38am

दिली शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2018 at 9:52pm

आ.जनाब आरिफ़ साहिब आदाब, गागर में सागर यानी कम लफ़्ज़ों में ज़बरदस्त लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Mohammed Arif on April 24, 2018 at 6:57pm

अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से लघुकथा पर सफलता की मोहर लगाने का बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Mohammed Arif on April 24, 2018 at 6:55pm

आदरणीय आशुतोष जी आदाब,

                          लघुकथा पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से अवगत करवाने का बहुत-बहुत आभार ।

                     दार्शनिक और जिज्ञासु के वाद-विवाद का विषय 'दशा और 'बोध' है । दार्शनिक अंत में चींटियों के झुण्ड के माध्यम से इसका समाधान सांकेतिक रूप से करवाने का आशय ही यही है कि चींटियों जब चलती है तो एक साथ और एक ही दिशा में समूह के रूप में चलती है । उनकी अपनी एक निश्चत दिशा होती है । जब वे अनुशासनबद्ध तरीके से चलती है तब उनकी दशा देखने लायक होती है । शायद, अब आप समझ गए होंगे ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2018 at 3:52pm

आदरणीय आरिफ जी येतो लघु लघु कथा हो गयी प्रतीक का बढ़िया प्रयोग हुआ है अंत में दार्शनिक ने जो सांकेतिक जवाब दिया उसे सुनकर................संकेत को सुनना थोडा असमंजस में हूँ रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करी सादर 

Comment by Samar kabeer on April 24, 2018 at 2:24pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,वाह बहुत खूब,शानदार लघुकथा,इस् प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
23 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
29 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
33 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
53 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service