For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यक़ीन क़ायम है—लघुकथा

“लगता है आपने दुनियाँ नहीं देखी और खबरों से दूर रहते हैं आप”, ज़हूर भाई ने अपनी बात तेज आवाज मे कही, गोया वह आवाज के ज़ोर पर ही अपनी बात सही बताना चाहते थे. वह नए नए पड़ोसी बने थे रफ़ीक़ के और हाल मे ही हुए कौमी दंगों पर बहस कर रहे थे. रफ़ीक़ उनको लगातार समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वक़्त का तक़ाज़ा इन चीजों से ऊपर उठकर सोचने का है.
“आप जितनी तो नहीं देखी लेकिन कुछ तो देखी ही है ज़हूर भाई, दुनियाँ इतनी भी बुरी नहीं है. आज भी इंसानियत जिंदा है और मोहब्बत का खुलूस कायम है”, रफ़ीक़ ने मुसकुराते हुए जवाब दिया.
“अमा मियां, आप ने लगता है कुछ नहीं झेला है इसीलिए ये बहकी बहकी बातें कर रहे हो. आँखें खोल के देखो, पूरी दुनियाँ हमारी दुश्मन बनी हुई है”, बहुत तैश मे आ गए थे ज़हूर भाई.
“एक और बात, कभी किसी ऐसे परिवार से आप मिले होते जिसने उनके हाथों अपना सगा खोया है तो समझते आप. मेरे पड़ोसी का हाल मैंने देखा था पिछले मोहल्ले मे”, ज़हूर भाई ने बात खत्म की.
थोड़ी देर तक तो रफ़ीक़ चुप रहे और फिर एक गहरी सांस लेते हुए बोले “आपने शायद इसी शहर की कई साल पहले की एक खबर पढ़ी होगी जिसमे एक नौजवान का क़त्ल ऐसी ही सोच के कुछ लोगों ने कर दिया था”.
ज़हूर भाई ने तुरंत टोका “वही तो मैं भी कह रहा हूँ, जो हालत मेरे पड़ोसी की हुई थी, वैसी ही हालत हुई होगी. अब वह परिवार भला मोहब्बत और इंसानियत की बात करेगा कभी”.
“लेकिन शायद आपने यह नहीं पढ़ा होगा कि उसके बाद उस कौम के तमाम लोगों ने आकर उस गुनाह की माफ़ी भी मांगी थी”, रफ़ीक़ ने कहीं दूर देखते हुए कहा.
ज़हूर भाई जब तक कुछ कहते, रफ़ीक़ ने फिर कहा “वह नौजवान मेरा बेटा था ज़हूर भाई”.
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on February 19, 2018 at 3:17pm

बहुत बहुत आभार आ अनीता मौर्या जी

Comment by विनय कुमार on February 19, 2018 at 3:17pm

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by विनय कुमार on February 19, 2018 at 3:16pm

बहुत बहुत आभार आ तस्दीक़ अहमद खान साहब

Comment by विनय कुमार on February 19, 2018 at 3:16pm

बहुत बहुत आभार आ कल्पना भट्ट जी

Comment by Anita Maurya on February 14, 2018 at 7:37pm

अच्छी लघुकथा...

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 14, 2018 at 9:14am
बेहतरीन समापन और संदेश के साथ बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 13, 2018 at 7:35pm

जनाब विनय साहिब ,फ़िरक़ा परस्ती को आइना दिखाती सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 13, 2018 at 6:12pm

भड़काने वाले बहुत होते हैं सही राह दिखलाने वाले बहुत कम| आदरणीय बहुत सुन्दर लघुकथा हुई है जिसके लिए हार्दिक बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service