For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होके मजबूर तेरी गलियों से जाना होगा ।
अब खुदा जाने कहाँ अपना ठिकाना होगा ।

मै मना पाया न रब को न तेरे दिल को,
अब तो तनहाई में खुद को ही मनाना होगा ।

जान मेरी मै बिना तेरे जियूँगा लेकिन,
मेरे जीने में न जीने का बहाना होगा ।

तनहा होकर भी रहूँगा न कभी तनहा,
तेरी यादों का मेरे साथ ज़माना होगा ।

हर रजा अपनी मै हारूँगा रजा पर तेरी,
प्यार जब कर ही लिया है तो निभाना होगा ।

प्यार का नाम फकत प्यार को पाना तो नहीं,
ये कोई कर्ज़ है जो मुझको चुकाना होगा ।

नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 6:26pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय राम अवध जी

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 6:25pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 14, 2018 at 5:41pm

आदर्णीय नीरज जी खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बधाई

Comment by vijay nikore on February 14, 2018 at 9:58am

 आ० नीरज जी, हार्दिक बधाई इस अच्छी गज़ल के लिए।

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 12:40am

बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कल्पना जी

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 12:39am

बहुत बहुत हार्दिक शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 12:39am

बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 13, 2018 at 6:36pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय नीरज जी | हार्दिक बधाई

Comment by Mohammed Arif on February 13, 2018 at 2:30pm

आदरणीय नीरज मिश्रा जी आदाब,

                              बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।कुछ वर्तनीगत अशुद्धियों को देखिएगा ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 13, 2018 at 10:51am

आद0 नीरज जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने। शेर दर शैर बधाई देता हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service