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तरही ग़ज़ल नम्बर 2,कुछ नये क़वाफ़ी के साथ ।

फाइलातून फ़ाइलातुन फाइलुन

दुश्मन-ए-जाँ लरज़ह  बर अंदाम है

जब तलक ज़िन्दा हमारा नाम है

सोचने की क़ुव्वतें मफ़लूज हैं

मुल्क में सबको हुआ सरसाम है

चूस लेती है बदन का ये लहू

शाइरी भी कितनी ख़ूँँ  आशाम है

उसको छूने से भी मुझको डर लगे

इस क़दर नाज़ुक वो गुल अंदाम है

ये तो दीवानों की बस्ती है "समर"

तुम यहां क्यों आ गए क्या काम है

---------

लरज़ह बर अंदाम--कांपना

मफ़लूज--अपाहिज,जिसे फ़ालिज मार गया हो ।

सरसाम--एक बीमारी जिसमें सर में वरम(सूजन)आ जाती है ।

खूँ आशाम--ख़ून चूसने वाली ।

गुल अंदाम---फूल सा बदन

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Ravi Shukla on January 4, 2018 at 9:45am

आदरणीय समर साहब फिर से आपकी एक उम्दा ग़ज़ल पढ़ने को मिली और जैसी कि उम्मीद थी आपसे, नए नए  काफियों पर इस आसान बह्र में अच्छे अशआर पढ़ने को मिले।  कामयाब ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करें। 

Comment by नादिर ख़ान on January 1, 2018 at 6:14pm

चूस लेती है बदन का ये लहू

शाइरी भी कितनी ख़ूँँ  आशाम है ...सही फ़रमाया जनाब 

उसको छूने से भी मुझको डर लगे

इस क़दर नाज़ुक वो गुल अंदाम है... ग़ज़ब की कारीगरी 

उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद जनाब समर साहब |

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:53pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:51pm

जनाब संदीप कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:50pm

जनाब अफ़रोज़ 'सहर' साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:48pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:46pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:44pm

जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:43pm

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 2:36pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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