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तेरे प्यार में दिल को बेक़रार करते हैं - सलीम रज़ा रीवा

212 1222 212 1222

तेरे प्यार में दिल को बेक़रार करते हैं

रात - रात भर तेरा इंतज़ार करते हैं

-

तुमको प्यार करते थे तुमको प्यार करते हैं

जाँ निसार करते थे जाँ निसार करते हैं

-

ख़ुश रहे हमेशा तू हर ख़ुशी मुबारक हो

ये दुआ खुदा से हम बार - बार करते हैं

-

उँगलियाँ उठाते हैं लोग दोस्तों पर भी

हम तो दुश्मनों पर भी ऐतबार करते हैं

-

वादा उसका सच्चा है लौट के वो आएगा

इस उमीद पर अब भी इंतज़ार करते हैं

-

हम तो जान दे देते उनके इक इशारे पर

आशिक़ों में वो हमको कब शुमार करते हैं

-

फूल सा खिला चेहरा आँख वो ग़ज़ालों सी

मेरे ख़्वाब में आकर बेकरार करते हैं

---

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by SALIM RAZA REWA on November 22, 2017 at 10:05pm
अली जनाब तस्दीक साहब,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया, मशविरे के लिए शुक्रिया, सिर्फ टाइपिंग की गलती है..और कुछ नहीं, उमीद लिखा ही गया था आटो करेक्शन की वज़ह से..उम्मीद ले लिया,(तवक़्क़ो भी ) अच्छा लफ्ज़ है,
Comment by SALIM RAZA REWA on November 22, 2017 at 9:46pm
शुक्रिया जनाब आरिफ साहब.
Comment by SALIM RAZA REWA on November 22, 2017 at 9:46pm
आली जनाब समर साहब,
ग़ज़ल पे आपकी शिरक़त और मशविरे के लिए शुक्रिया,
जनाब 'में' टाइप नहीं हुआ है, उम्मीद को उमीद ही पढ़ें ,
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 22, 2017 at 5:36pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । शेर 5और6 का सानी मिसरा बह्र में नहीं आ रहा है ,मुनासिब समझें तो यूँ कर सकते हैं ।
(हम इसी तवक़्क़ो पर इनतजार करते हैं ),(आशिक़ों में वो हमको कब शुमार करते हैं )
Comment by Mohammed Arif on November 22, 2017 at 4:45pm
आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Samar kabeer on November 22, 2017 at 12:45pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

'इस उम्मीद पर अब भी इन्तिज़ार करते हैं'
इस मिसरे में लय बाधित हो रही है,'उम्मीद' को "उमीद"कर लें ।
'दोस्तों वो हमको कब शुमार करते हैं'
ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,इसे यूँ कर लें :-
'दोस्तों में वो हमको कब शुमार करते हैं'
आख़री शैर के कथ्य पर थोड़ा विचार करें ।

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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