For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये रंजिश का दौर नया है ,
हाँ, साज़िश का दौर नया है ।
कितने बेबस चहरे देखो ,
फिर यूरिश का दौर नया है ।
हम क्या खायें, क्या पहनें अब ,
बस, काविश का दौर नया है ।
भाई-भाई का दुश्मन है ,
ये सोज़िश का दौर नया है ।
शक हर इक पर है अब यारो ,
हाँ, पुरसिश का दौर नया है ।
धन-दौलत के दीवाने सब ,
पैमाइश का दौर नया है ।
सूखी-सूखी नदियाँ हैं सब ,
अब बारिश का दौर नया है ।
शब्दार्थ:--
यूरिश-हमला
सोज़िश-जलन
काविश-तलाश
परसिश-पूछताछ
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 1664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on July 22, 2017 at 8:06am
बहुत-बहुत शुक्रिया मोहतरम तस्दीक अहमद साहब ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 21, 2017 at 10:09pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है ,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Mohammed Arif on July 21, 2017 at 1:23pm
ग़ज़ल पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया देकर कृतार्थ करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर जी ।
Comment by vijay nikore on July 21, 2017 at 11:27am

//भाई-भाई का दुश्मन है ,
ये सोज़िश का दौर नया है ।
शक हर इक पर है अब यारो ,
हाँ, पुरसिश का दौर नया है ।//

बहुत ही खूबसूरत गज़ल लिखी है, खयाल बहुत अच्छे उतरे हैं। दिल से बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on July 21, 2017 at 9:53am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गुरप्रीत जी ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 21, 2017 at 9:18am

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी,, कुछ नए शब्द भी पता चले आप की इस ग़ज़ल के माध्यम से, 

Comment by Mohammed Arif on July 20, 2017 at 11:06pm
हृदयतल से आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by Mohammed Arif on July 20, 2017 at 11:05pm
हृदयतल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । लेखन सार्थक हुआ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2017 at 8:30pm

आदरणीय आरिफ भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये बधाइयाँ स्वीकार करे ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 20, 2017 at 8:02pm
आ. भाई आरिफ जी अच्छी गजल हुई है ।हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
23 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service