For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये तमाशा तो मेरे ज़ह’न के अन्दर निकला, ग़ज़ल नूर की

गा ल गा गा (ललगागा) / लल गागा/ ललगागा / गा गा (ललगा) 
.
ये तमाशा तो मेरे ज़ह’न के अन्दर निकला,
मैं बशर मैं ही ख़ुदा मैं ही पयम्बर निकला.
.
ये ज़मीं चाँद सितारे ये ख़ला.... सारा जहान, 
वुसअत-ए-फ़िक्र से मेरी ज़रा कमतर निकला.

.
संग-दिल होता जो मैं आप भी कुछ पा जाते,
क्या मेरी राख़ से पिघला हुआ पत्थर निकला?
 
.
सोचता था कि मेरे अश्क हैं क्यूँ कर नमकीन,
ज़ह’न की थाह में गुम-गश्ता समुन्दर निकला.
.  
धडकनों में हुई महसूस कोई तेज़ चुभन,
दिल टटोला तो किसी याद का नश्तर निकला.
.
“नूर जी” ज़ह’न की आज़ादी प इतराते रहे,
पर अना शाह रही, ज़ह’न तो नौकर निकला.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 1033

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 14, 2017 at 7:55pm

शुक्रिया आ. बृजेश कुमार जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 14, 2017 at 5:06pm
ग़ज़ल को कई बार पढ़ा..कुछ रचनायें होतीं हैं जिन्हें पढ़ते ही जाएं..जो भी रचना पे आएं सभी टिप्पड़ी जरूर पढ़ें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 8:11pm

शुक्रिया आ. महेंद्र जी 

Comment by Mahendra Kumar on April 13, 2017 at 8:07pm
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है आदरणीय नीलेश जी। सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं। व्यक्तिगत तौर पर इस ग़ज़ल में 'तो' के प्रयोग से मैं सहमत हूँ। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 5:51pm

कमेंट्स में तरमीम का शेर है ..उसे फाइनल मानें 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 5:43pm

शुक्रिया आ. गुरप्रीत जी ...
.
वुसअत-ए-फिक्र यानी सोच का फ़ैलाव 
आभार 

Comment by Gurpreet Singh jammu on April 13, 2017 at 5:36pm
वाह नीलेश सर जी..क्या खूब ग़ज़ल कही है..सभी अशआर वाकई एक से बढ़कर एक हैं... इन उलझे हुए इन्सानी ख्यालों को आपने कितनी आसानी से कह दिया,और इस तरह कि हर कोई आसानी से समझ सके.
वुसअत-ए-फिक्र का अर्थ जानना चाहता हूँ सर जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 7:06am

जी,
आभार आप का  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 12:02am

आ. अनुराग जी,

आप के सुझाव पर मैंने अपनी बात स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है.
भविष्य में भी आप से सकारात्मक सुझावों की अपेक्षा  है ...
आप के या किसी अन्य के सुझावों से मेरा लिखा ही समृद्ध होगा 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 12:02am

आ. अनुराग जी,

आप के सुझाव पर मैंने अपनी बात स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है.
भविष्य में भी आप से सकारात्मक सुझावों की अपेक्षा  है ...
आप के या किसी अन्य के सुझावों से मेरा लिखा ही समृद्ध होगा 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
8 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service