For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं,
कहाँ जा रहा हूँ,

खुद को टटोला तो पाया,

अनजान मंजिल है, अँधेरी राह है ।
और मैं एक अनजान राही हूँ ।।

भटकने का खौफ़ है ।
तो मंजिल की उम्मीद भी ।।

उम्मीद कम है-खौफ़ ज़्यादा ।
फिर भी उम्मीद की चादर में खौफ़ को बाँधे चले जा रहा हूँ ।।

ढांढस बंधाते हिम्मत जुटाते चला जा रहा हूँ ।
मंज़िल मिलेगी यही सोच कर बढे जा रहा हूँ ।।

चले जा रहा हूँ , बस चले जा रहा हूँ ।

बदन कहता है रुक जा, सुस्ता ले थोड़ी देर ।
दिल कहता है चले जा , कहीं हो जाये न देर ।।

थक जाता हूँ तो उम्मीद की चादर ओढ़ कर सो जाता हूँ ।
लेकिन चादर खुलते ही आज़ाद खौफ़ से डर जाता हूँ ।।

फिर उठता हूँ, उम्मीद की चादर में खौफ़ को समेटे ।
खड़ा होता हूँ, चल पड़ता हूँ नव ऊर्जा तन पे लपेटे ।।

सोचता हूँ मिलेगी मंजिल, आज नहीं तो कल ।
बस बिना रुके, बिना ठहरे, चला चल, चला चल, चला चल ।।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashutosh Kumar Gupta on August 2, 2016 at 3:15am
आदरणीय श्री गिरिराज जी आपके मार्गदर्शन के लिए अनेक अनेक धन्यवाद आगे से ध्यान रखूंगा साभार ।
Comment by Ashutosh Kumar Gupta on August 2, 2016 at 3:13am
धन्यवाद आदरणीय सुरेश कुमार जी
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 1, 2016 at 5:27pm
जिन्दगी की दौड को दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना है । आदरणीय श्री आशुतोष कुमार जी हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 1, 2016 at 11:29am

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी लगी आपकी कविता , हार्दिक बधाई । समानार्थी शब्दों का दुहराव कविता को कमज़ोर कर देता है , इससे बचना चाहिये ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 7:12am
बहुत खूब । आपकी यह कविता पसंद आई । हार्दिक बधाई।
Comment by Ashutosh Kumar Gupta on July 30, 2016 at 1:14pm
धन्यवाद प्रतिभा जी, आपने सही सार पकड़ा है, और ये भी सत्य ही है कि मनुष्य के अन्तर्मन में डर और आशा के बीच द्वंद चलता रहता है फलतः डर की विजय कुछ अनुभव के साथ असफलता दे जाती है और आशा की विजय सफलता के साथ आत्मविश्वास।
पुनः कोटि कोटि धन्यवाद सादर
Comment by Ashutosh Kumar Gupta on July 29, 2016 at 5:10pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर जी, आभार
Comment by Samar kabeer on July 29, 2016 at 2:50pm
जनाब आशुतोष कुमार जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
1 hour ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service