For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सच की औक़ात (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

बिना कोई ख़ास सफलता हासिल किए हुए भी 'सच' सदैव ख़ुद पर अभिमान कर रहा था। 'झूठ' के सामने वह हमेशा की तरह अपने ही गुणगान करते हुए बोला- "मैं हूं न ! सब समस्याओं का समाधान चुटकियों में करवा देता हूँ! जिसने मुझे समझा और अपनाया वह धन्य हो गया और महान कहलाया!"
'झूठ' जो पहले उसकी बचकानी बातें सुनकर मुस्करा रहा था, अब ठहाके मारकर हँसने लगा।
"अरे, इतना ही सुनकर ख़ुश होने लगे, अभी और भी तो सुनो!" - 'सच' ने शेख़ी मारते हुए कहा-" पुलिस विभाग हो या न्यायालय, परिवार हो या दुकान, उत्पाद हो या उसका विज्ञापन सब जगह मैं मौजूद तो रहता हूँ, लेकिन चुप रहते हुए बिना बोली लगाये मैं लोगों को ऊंचे दाम दिला देता हूँ, कभी बिक जाता हूँ, कभी किसी को बिकवा देता हूँ!"
'झूठ' फिर अपनी हँसी नहीं रोक सका । ठहाका मारते हुए उसने कहा- "बस अब चुप भी हो जा, क्यों मुझे शर्मिन्दा कर रहे हो? मुझे मालूम है आजकल तेरी औक़ात है क्या?"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 24, 2016 at 1:55am
रचना-पटल पर समय देकर विषयांतर्गत अपने बेहतरीन विचार साझा करते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब सुशील सरना जी, जनाब राजेन्द्र कुमार दुबे जी और मोहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी व जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा जी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 23, 2016 at 4:40pm

आदरणीय उस्मानी जी ..सच की वाकई में ये हालत है ..इस सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 22, 2016 at 6:37pm
सच की विडम्बना यह है कि वह जहां भी होता है अकेला होता है। जब कि एक झूठ के साथ, समर्थन और सहयोग में हमेशा सौ झूठ खड़े होते हैं , अब जब सबकुछ आंकड़ों पर ही निर्भर करता है तो झूठ को हमेशा समर्थन, सहयोग, साथ और बहुमत मिल जाता है।
इस सुन्दर अर्थपूर्ण प्रस्तुति पर बधाई , आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , सादर।
Comment by Rajendra kumar dubey on June 22, 2016 at 1:48pm
वास्तव में आज सत्य की कोई औक़ात दिखाई नही देती पर बेशक सत्य की ताकत से इनकार नहीं किया जा सकता श्।एक अच्छी कहानी के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय उस्मानी जी।
Comment by Sushil Sarna on June 22, 2016 at 1:38pm

अादरणीय उस्मानी साहिब सच की दुर्दशा प र अपने सार्थक कटाक्ष किया है।  इस सुंदर लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service