For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 1222 1222

गगन मेरा पिता है और ये धरती है मेरी माँ
मैं जिसमें लोटता रहता हूँ वो मिट्टी है मेरी माँ

कुशलता से सभी रिश्तों के मनकों को पिरोती है
बड़ी ही नर्म और' मजबूत-सी डोरी है मेरी माँ

ज़माने के सभी रिश्तों को पल-भर में भुला दूँ,पर
मैं उसकी कोख से जन्मा, मेरी अपनी है मेरी माँ

फ़िज़ा में गूंजता हर ओर मातम,जब सिसकती है
दहल जाती है पृथ्वी, जब कभी रोती है मेरी माँ

यही कारण है शायद, मैं कभी मंदिर नहीं जाता
मेरी खातिर किसी देवी से भी ऊँची है मेरी माँ

डपटती है,झगड़ती है,कभी नाराज़ हो जाती
मगर इक बूँद आँसू से पिघल जाती है मेरी माँ

ये उसकी मेह्रबानी है,कि है दुनिया मेरी रौशन
भले मैं लौ हूँ दीपक का,मगर बाती है मेरी माँ
================================

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 12, 2016 at 6:47am
आदरणीय शेख साहब, आदरणीय समर कबीर जी,आदरणीय मदन मोहन जी, आपलोगो की उपस्थिति व प्रोत्साहन से हार्दिक प्रसन्नता हुई। बहुत बहुत आभारी हूँ आपलोगों का!!
Comment by Madan Mohan saxena on May 10, 2016 at 5:38pm

अच्छी ग़ज़ल

बदलते बक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे
माँ का एक सा चेहरा , मेरे मन में पसर जाता

नहीं देखा खुदा को है ना ईश्वर से मिला मैं हुँ
मुझे माँ के ही चेहरे मेँ खुदा यारों नजर आता

मुश्किल से निकल आता, करता याद जब माँ को
माँ कितनी दूर हो फ़िर भी दुआओं में असर आता

उम्र गुजरी ,जहाँ देखा, लिया है स्वाद बहुतेरा
माँ के हाथ का खाना ही मेरे मन में उतर पाता

खुदा तो आ नहीं सकता ,हर एक के तो बचपन में
माँ की पूज ममता से अपना जीबन , ये संभर जाता

जो माँ की कद्र ना करते ,नहीं अहसास उनको है
क्या खोया है जीबन में, समय उनका ठहर जाता

मदन मोहन सक्सेना

Comment by Samar kabeer on May 8, 2016 at 5:53pm
जनाब जयनित कुमार जी आदाब,माँ को समर्पित बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Samar kabeer on May 8, 2016 at 5:50pm
जनाब जयनित कुमार जी आदाब,माँ को समर्पित बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 8, 2016 at 9:56am
हर दिल की बात कहेगा,वो ये ग़ज़ल गायेगा, लाडला अपनी माँ का पहचाना जायेगा,.... तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी इस प्रेरक सारगर्भित ग़ज़ल की पेशकश के लिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service