For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टीस.....

चलो न
कुछ और बात करते हैं
अपनी अपनी टीस से
मुलाक़ात करते हैं
नेह से देह की थकान
तो अधरों से तृप्ति हारी है
सच कहूँ तो
बीती हुई रात की
चुपके से हुई बात
कुछ तेरी पलक पर
तो कुछ मेरी पलक पर
अभी तक भारी है
जूही के फूलों में लिपटे
वो स्वप्निल लम्हे
अस्त व्यस्त से सलवटों में
अपनी गंध से
अलौकिक अनुभूति की
व्याख्या करते प्रतीत होते हैं
निर्वसन शरीर के उजास की चांदनी
एकान्तता से लिपट
स्मृति की उर्वरक धरा को
दीप की मद्धिम लौ में घटित
मधु पलों को
अपने शीतल प्रकाश से
सदा पल्लवित करती है
देखो
तुम्हारी हथेली पर
रेशमी अहसासों की चादर लपेटे
नेत्रों के घरोंदों को छोड़
एक नम लम्हा
इक मीठी टीस लिए आ बैठा है
जो दृग दूरी को मिटाता है
इस टीस में
कितनी मिठास होती है
तृप्ती के घन से
सदा अतृप्ति की बरसात होती है
सच
इस टीस के बहाने
तेरी और मेरी
हर लम्हा मुलाक़ात होती है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 4, 2015 at 6:45pm

आदरणीया  DIGVIJAY  जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।इसे अतुकांत की श्रेणी में रखा जाएगा।  

Comment by DIGVIJAY on December 4, 2015 at 2:53pm

बेहतरीन कविता आदरणीय सुशील जी बधाई आपको...वैसे इसे कविता के भीतर ही रखेंगे न...जानकारी का अभाव हैं । सादर

Comment by Sushil Sarna on December 4, 2015 at 12:40pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 3, 2015 at 10:35pm

आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2015 at 12:10pm

आदरणीय  Samar kabeer जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on December 2, 2015 at 11:04pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,आपकी हर रचना सोचने पर मजबूर कर देती है,ये आपके लेखन का ही कमाल है,इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on December 2, 2015 at 8:05pm

आदरणीया कांता रॉय जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by kanta roy on December 2, 2015 at 6:48pm

तृप्ती के घन से
सदा अतृप्ति की बरसात होती है
सच
इस टीस के बहाने
तेरी और मेरी
हर लम्हा मुलाक़ात होती है------वाह !!! अप्रितम सौंदर्य लिए बहुत ही नर्म सी रचना। ढेरों बधाई आपको आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sushil Sarna on December 2, 2015 at 6:14pm

आदरणीय तेज वीर सिंह जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार। 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 2, 2015 at 2:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी!बहुत शानदार व्याख्या की है टीस की!बेहतरीन विश्लेषण टीस का!टीस की अनुभुति की पीडा और टीस का रोमांच सब कुछ लिख डाला!पुनः बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service