For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका, आधार छंद- वाचिक महालक्ष्मी
(212 212 212)

शब्द अब गीत रचने लगे,
राज़ दिल के बिखरने लगे। /1/

दोस्त दुश्मन सभी दूर हैं
अब स्वयं को समझने लगे। /2/

नौकरी रिश्वतों से मिली,
आज अक्षम चमकने लगे। /3/

ठोकरें दीं सभी ने हमें,
पैर रखकर कुचलने लगे। /4/

प्रेम, दोस्ती रही आज तक,
शक हमें दूर रखने लगे। /5/

युग्म जुड़ कर करेंगे भला,
गीतिका-भाव भरने लगे। /6/

(मौलिक व अप्रकाशित)
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2015 at 12:56pm
आदरणीय Ram Awadh Vishwakarma जी, बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद अवलोकन करने व प्रोत्साहन देने के लिए। उस पंक्ति में मापनी अनुसार परिमार्जन कर दिया है, कृपया पुनः अवलोकनार्थ प्रेषित
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 8, 2015 at 12:21pm
गजल उर्फ गीतिका में आपने अच्छे शेर निकाले बधाई।प्रेम दोस्ती रही आज तक बह्र को शायद ठीक करने की आवश्यकता है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2015 at 9:43am
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय Jaiprakash Mishra जी।
Comment by Jayprakash Mishra on October 8, 2015 at 9:26am
नौकरी रिश्वतों से मिली,आज अक्षम चमकने लगे। /3/
Behatareen Janaab Usmaani saahab
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2015 at 8:02am
आदरणीया कान्ता राय जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2015 at 8:01am
** "पटकने" के स्थान पर "रखने" पढ़ा जाये,कृपया।******
आदरणीय Samar Kabeer साहब बहुत बहुत शुक्रिया ग़लती की तरफ़ इशारा करने व प्रोत्साहन देने के लिए।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2015 at 11:01pm
जनाब शहज़ाद जी,आदाब,आपकी गीतिका पसंद आई,अच्छे भाव रखे हैं आपने,इसके लिये बधाई स्वीकार करें,आपका ये शैर :-

"प्रेम, दोस्ती रही आज तक,
शक हमें दूर पटकने लगे"

आपका ये शैर बह्र में नहीं है देख लीजियेगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 7, 2015 at 9:51pm
सुंदर।हार्दिक बधाई आदरणीय शेख सहज़ाद जी
Comment by kanta roy on October 7, 2015 at 6:37pm

युग्म जुड़ कर करेंगे भला,
गीतिका-भाव भरने लगे।---- !!! क्या खूब कही आपने आदरणीय शहज़ाद जी। बधाई काबुल फरमाइयें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
9 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
16 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
23 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
37 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
41 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
43 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
44 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
53 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service