For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - लहू इंसाँ का हूँ , सस्ता रहा हूँ ( गिरिराज भंडारी )

1222    1222    122 

बहुत बेकार सा चर्चा रहा हूँ

मैं सच हूँ, आँख का कचरा रहा हूँ

 

बहा हूँ मै सड़क पर बेवजह भी

लहू इंसाँ का हूँ , सस्ता रहा हूँ

 

जो समझा वो सदा नम ही रहा फिर

मै आँसू ! आँखों से बहता रहा हूँ

 

महज़ इक बूँद समझा तिश्नगी ने

भँवर के वास्ते तिनका रहा हूँ

 

जलादूँ एक तो बाती किसी की   

इसी उम्मीद में दहका रहा हूँ   

 

मुझे मानी न पूछें ज़िन्दगी का

अभी ख़ुद को ही मैं समझा रहा हूँ

 

किसी के वास्ते खुशियों का कारण

किसी की राह का काँटा रहा हूँ

 

बहे आँसू ने छू कर फिर जगाया

न जाने कब तलक सोता रहा हूँ

 

तेरी ही सोच ने मारा है मुझको

तेरी ही सोच में जीता रहा हूँ

*********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2015 at 3:12pm

आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , आपकी सराहना सर माथे पर , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2015 at 3:11pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2015 at 3:10pm

आदरणीया कांता जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 15, 2015 at 3:02pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी, दाद कुबूल कीजिए

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 15, 2015 at 1:36pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर, इस ग़ज़ल को आज देख सका हूँ. बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दिल से दाद हाज़िर है. सादर 

Comment by kanta roy on October 7, 2015 at 1:16pm

बहुत बेकार सा चर्चा रहा हूँ
मैं सच हूँ, आँख का कचरा रहा हूँ ········वाह !!!! सच तो वाई आज के दौर में कचरा ही रह गया है। बहुत खूब कटाक्ष हुआ है। बधाई

बहा हूँ मै सड़क पर बेवजह भी
लहू इंसाँ का हूँ , सस्ता रहा हूँ···········वाह !!! बेमिशाल ! क्या बात है इस सड़क पर इंसान के लहू की। बड़ी ही तंजदार ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2015 at 11:18am

आदरणीय समर भाई , सुखन नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2015 at 11:18am

आदरणीय सतविन्दर भाई , आपको मेरी गज़ल पसन्द आयी जान कर खुशी हुई , आपका बेहद शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2015 at 11:17am

आदरणीय कृष्णा भाई , कहन की सहजता आपको भली लगी , मुझे बेहद खुशी हुई , सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2015 at 11:15am

आदरणीय जयनित भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service