For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" तुमको बुरा नहीं लगता इसमें , बिना अपनी मर्ज़ी के ये सब ", उसने पूछ लिया |
" हाँ , बहुत तक़लीफ़ हुई थी मुझे , जब अस्मत लुटी थी मेरी | और उससे भी ज्यादा तक़लीफ़ तब हुई थी , जब घर वालों ने भी दरवाज़ा बंद कर दिया था "|
उसने अपना चेहरा घुमा लिया , पुराना दर्द फिर उभर आया था |

.
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 29, 2015 at 12:48pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी..

Comment by shree suneel on May 29, 2015 at 10:39am
चंद पंक्तियों में दुखों के कई आवरण... आदरणीय विनय जी, सफल लघु-कथा के लिए बधाई आपको.
Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 8:47pm

आपने सराहा , अब और क्या चाहिए आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी | बहुत बहुत आभार आपका ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 8:23pm

कोई रचना मात्र इसलिए सफल नहीं हुआ करती कि उसमें प्रयुक्त शब्दों से चमत्कार पैदा होता है, बल्कि उसके शब्दों ने क्या नहीं कहा और वह सारा कुछ निस्सृत हो जाय. यही कुछ आपकी इस प्रस्तुति में संभव हुआ है. आपकी इस लघुकथा से निस्सृत हुए भाव इस समाज की असंवेदनशीलता को गहराई से साझा करते हैं.
हार्दिक बधाई स्वीकर करें, आदरणीय विनय कुमारजी.

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 6:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , धन्यवाद इस टिप्पणी के लिए..

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 6:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी , धन्यवाद इस टिप्पणी के लिए..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2015 at 12:15pm

वाऊ ....... बहुत बढ़िया . बधाई हो .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 28, 2015 at 10:27am

बहुत ही कम शब्दों में , बड़ी गहन बात कही आपने आदरणीय विनय जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 10:24am

बहुत बहुत आभार आदरणीय मोहन सेठी इंतज़ार जी..

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 10:23am

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मोहन जान गोरखपुरी जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service