For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो पेड़ : लघु कथा : हरि प्रकाश दुबे

“बहन रो क्यों रही हो !”

“मेरा बेटा.... कहकर, वह अभागी माँ  और जोर –जोर से रोने लगी !”

“सखी, पहले ये आँसू पोंछ लो,..अब बताओ, हुआ क्या था ?”

“लाख समझाया , पर नहीं माना, गलत लोगों का साथ , पैसे की भूख, वो और उसके दोस्त रोज आरी लेकर निकल जाते और अपने दादा - परदादा से भी पुराने जमाने के पेड़ काटकर बेच आते, अरे कितनी बार कहा था यह प्रकृति हमारी माँ है, ये पेड़ हमारे जीवनदाता  ! “

“ फिर !”

“फिर क्या ..  एक दिन  उन्होंने वो बड़ा सा पेड़ काटा और वो पेड़, मेरे  बेटे पर ही गिर गया... !”

 

“मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 5, 2015 at 9:22am

अच्छी लघुकथा, आदरणीय हरिप्रकाश जी. बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 4, 2015 at 10:55pm

अच्छी लघु कथा है विषय अच्छा चुना है आपने हार्दिक बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on May 4, 2015 at 12:10pm
इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीय

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 4, 2015 at 12:00pm

सोच वास्तव में अच्छी है. लेकिन जाने क्यों बहुत कुछ सामने आने से रह गया जैसा लग रहा है.

प्रस्तुत करने के पूर्व रचना को थोड़ा समय देना था, आदरणीय हरि भाईजी. या, संभव है मैं ही नहीं समझ पा रहा हूँ.

फिर भी आप इस रचना को एक बार फिर से देखियेगा जरूर..

शुभेच्छाएँ.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 4, 2015 at 10:10am

कई सवाल खड़े कर दिये आपने ....बढ़िया कथा ...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 4, 2015 at 8:28am
आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई
Comment by Omprakash Kshatriya on May 3, 2015 at 9:05pm

वास्तव  में आप की लघुकथा कुछ सोचने को मजबूर करती है . बधाई . अच्छी लघुकथा .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
10 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
15 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
17 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
26 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
42 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
43 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
44 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
49 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
52 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
57 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service