For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- " कहूँ कुछ और कुछ निकले ज़ुबाँ से "

1222-1222-122

'कहूँ कुछ और कुछ निकले ज़ुबाँ से'
बहुत आजिज़ मैं अपने जिस्म-ओ-जाँ से

उठी आवाज़ शब की रूह-ए-खाँ से
दिनेश अब झाँक बामे आसमाँ से

निखरती शख़्सियत है इम्तिहाँ से
कहे ये रहगुज़र हर कारवाँ से

मुक़र्रर आपका जब फ़ैसला है
तो फिर क्या फ़ाइदा मेरे बयाँ से

सरे महफ़िल तुम्हें रुसवा करेगा
नहीं करना अदावत राज़दाँ से

सितारे चाँद सूरज और जुगनू
सभी का नूर उस नूरेजहाँ से

अँधेरा फिर न टिकता एक पल भी
सहर का तीर जब छूटे कमाँ से

मैं शायर हूँ हमेशा सच कहूँगा
मेरी पहचान केवल क़द्रदाँ से

ग़मों से हार मेरी रूह चीखी
छुड़ाओ मुझको कोई क़ैद-ए-जाँ से

-------------------------------------
मौलिक व अप्रकाशित © दिनेश कुमार
-------------------------------------

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on March 26, 2015 at 9:44pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जनाब krishna mishra 'jaan'gorakhpuri साहब। हार्दिक आभार।
Comment by दिनेश कुमार on March 26, 2015 at 9:42pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी। हार्दिक आभार। आशीर्वाद बनाए रखिएगा।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:44am

आदरणीय दिनेश जी, सुन्दर ग़ज़ल ,  हार्दिक बधाई !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 25, 2015 at 11:32pm

हर एक शेर लाजव़ाब सर!बहुत ही लाजव़ाब गज़ल!

सितारे चाँद सूरज और जुगनू
सभी का नूर उस नूरेजहाँ से       इस शेर पर तो दिल फ़िदा हो गया!

ग़मों से हार मेरी रूह चीखी
छुड़ाओ मुझको कोई क़ैद-ए-जाँ से    बेहद उम्दा! बेहद उम्दा!

हार्दिक बधाईयां आ० दिनेश सर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 25, 2015 at 10:55pm

आदरणीय दिनेश भाई , सभी अशआर अच्छे कहे हैं , हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥

Comment by दिनेश कुमार on March 25, 2015 at 7:32pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई मिथिलेश जी। हार्दिक आभार। स्नेह बनाए रखिएगा। अगर कहीं ज़रा सी भी गलती या चूक लगे, बता ज़रूर देना भाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 25, 2015 at 7:25pm

आदरणीय दिनेश भाई जी बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद हाज़िर है .... हार्दिक बधाई 

Comment by दिनेश कुमार on March 25, 2015 at 7:12pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर सर जी। स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखिएगा सर जी।
Comment by Samar kabeer on March 25, 2015 at 6:34pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,लाजवाब ग़ज़ल हुई है दिनेश जी,सुन कर दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service