For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२१२२/ २१२२/ २१२२/२१२२ 

हादसा टूटा जो मुझ पे हादसा वो कम नहीं है
ग़म ज़माने का मुझे है इक तेरा ही ग़म नहीं है.  
.
या ख़ुदा! तेरे जहाँ का राज़ मैं भी जानता हूँ,
हैं ख़ुदा हर मोड़ पर लेकिन कहीं आदम नहीं है.
.
तेरे वादे की क़सम मर जाएँ हम वादे पे तेरे,
क्या करें वादे पे तेरे तू ही ख़ुद क़ायम नहीं है. 
.
ज़ख्म वो तलवार का हो वार हो चाहे जुबां का
वक़्त से बढकर जहाँ में कोई भी मरहम नहीं है.
.
देखते ही कह पड़ा
यक-लख़्त मुझको इक नजूमी  
हिज्र की ऋत तो लिखी है वस्ल का मौसम नहीं है.
.
ख़ुश्क सहरा सा हुआ है सूख कर कोई समुन्दर
झीलें आँखों की हैं सूखी दिल ज़रा भी नम नहीं है.    
.
रिश्ते नाते ग़म ख़ुशी सब आदमी की फितरतें हैं
धडकनों के पार दुनिया में ख़ुशी- मातम नहीं है.
.
मौलिक व अप्रकाशित 
निलेश "नूर"

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 27, 2015 at 7:52pm

शुक्रिया आ. उमेश जी 

Comment by umesh katara on March 27, 2015 at 7:50pm

है ग़ज़ल उम्दा बहुत ही लाजवाबी 'नूर' हो तुम

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2015 at 11:48pm

शुक्रिया आ. भंडारी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2015 at 11:48pm

शुक्रिया श्री हरी प्रकाश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2015 at 11:35am

ज़ख्म वो तलवार का हो वार हो चाहे जुबां का
वक़्त से बढकर जहाँ में कोई भी मरहम नहीं है.

देखते ही कह पड़ा यक-लख़्त मुझको इक नजूमी  
हिज्र की ऋत तो लिखी है वस्ल का मौसम नहीं है.   --- आदरणीय नीलेश भाई , बढिया गज़ल के इन और भी बढिया शे र्के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 10:00am

ज़ख्म वो तलवार का हो वार हो चाहे जुबां का 
वक़्त से बढकर जहाँ में कोई भी मरहम नहीं है. 

ख़ुश्क सहरा सा हुआ है सूख कर कोई समुन्दर
झीलें आँखों की हैं सूखी दिल ज़रा भी नम नहीं है.  

रिश्ते नाते ग़म ख़ुशी सब आदमी की फितरतें हैं
धडकनों के पार दुनिया में ख़ुशी- मातम नहीं है. ......बहुत खूब , बधाई आपको इस शानदार ग़ज़ल पर , आदरणीय  निलेश "नूर" जी ! सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 10:56pm

शुक्रिया आ. मिश्रा जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 10:56pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर. ..
अभी दुरुस्त कर  लेता हूँ 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 10:55pm

शुक्रिया आ. राजेश कुमारी जी. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 25, 2015 at 10:53pm

बड़े दिनों बाद दीदार हुए, आदरणीय !!
दिल से दाद कुबूल कीजिये..

बहर के वज़न को क्या लिख दिया है आपने ?.. दुरुस्त कर लीजिये आदरणीय नीलेशजी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मुश्किलों की आँधी…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service